रांची : मलेशिया में फंसे झारखंड के 30 में से 10 मजदूरों की 26 अप्रैल को वतन वापसी होगी। भारतीय दूतावास के दबाव के बाद मजदूरों को वहां की कंपनी ने फ्लाइट का टिकट दे दिया है।
कंपनी की ओर से भुवनेश्वर महतो, बासुदेव महतो, बुधन महतो. रामेश्वर महतो, देवानंद महतो, प्रेम लाल महतो, विनोद कुमार, झारी कुमार, विनोद महतो और बुधन महतो को 25 अप्रैल की फ्लाइट का टिकट दिया गया है।
सभी मजदूर मलेशिया से श्रीलंका और फिर चेन्नई होते हुए झारखंड अपने घर 26 अप्रैल को लौटेंगे। शेष 20 मजदूरों को भी टिकट जल्द मिलने की उम्मीद है।
मजदूरों का कहना है कि तीन वर्ष पूर्व 30 जनवरी 2019 को बोकारो जिले के गोमियां प्रखंड के तिसकोपी निवासी बासुदेव महतो और चेन्नई के एजेंट शिवम ने तीन साल के एग्रीमेंट पर 30 मजदूरों को लीडमास्टर इंजीनियरिंग एडं कंस्ट्रक्शन एसडीएन बीएचडी में मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में भेजा था।
कंपनी की ओर से पिछले चार महीने का वेतन नहीं मिलने से वे दाने-दाने के लिए मोहताज
तीन साल का एग्रीमेंट वीजा खत्म होने के बाद यह मजदूर गुलाम की तरह जिंदगी बसर कर रहे हैं क्योंकि इन मजदूरों के वेतन का भुगतान कंपनी ने बंद कर दिया था।
मलेशिया के बिजली प्रोजेक्ट में झारखंड के मजदूरों के फंसे होने का मामला 21 मार्च को तब सामने आया था, जब घर लौटने की चाहत रखने वाले इन मजदूरों ने बकाया राशि दिलाकर वतन वापसी की गुहार लगाई।
गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग जिले के रहने वाले इन मजदूरों का कहना था कि कंपनी की ओर से पिछले चार महीने का वेतन नहीं मिलने से वे दाने-दाने के लिए मोहताज हैं।
इसके बाद इन मजदूरों ने मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर स्थित भारतीय दूतावास में इसकी शिकायत की। फिलहाल मजदूरों ने कुआलालंपुर के एक गुरुद्वारे में शरण ले रखी है। अब भारतीय दूतावास के दबाव के बाद मजदूरों को वहां की कंपनी ने फ्लाइट का टिकट दे दिया है।