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देश की विविधता के खिलाफ नहीं UCC, एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा…

हालांकि सीनियर एडवोकेट और देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं

नई दिल्ली: PM मोदी (PM Modi) के यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर बयान के बाद देश में इस मसले पर बहस छिड़ गई है।

बहस इस बात की भी है कि यदि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू हुई तो हिंदुओं को हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के तहत मिलने वाला टैक्स लाभ जैसी छूट खत्म हो सकती है।

हालांकि सीनियर एडवोकेट और देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे (Solicitor General Harish Salve) इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।

कहते हैं कि करीब एक दशक पहले हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) में जिस तरीके के संशोधन हुए, उससे अब यह एक तरीके से नाममात्र का ही रह गया है।

देश की विविधता के खिलाफ नहीं UCC, एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा…-UCC not against the diversity of the country, said Advocate Harish Salve…

हरीश साल्वे ने कहा, हिंदुओं को लग चुके दो बड़े झटके

हरीश साल्वे कहते हैं कि हिंदुओं को तो पहले ही दो बड़े झटके लग चुके हैं। पहला जब अंग्रेजी हुकूमत ‘मैरिड विमेन्स राइट टू प्रॉपर्टी एक्ट’ (Married Woman’s Right To Property Act) लाई थी और दूसरा साल 1956 में।

जब यह कहा गया कि यदि किसी हिंदू शख़्स का निधन होता है और उसकी पुत्री जिंदा है तो भी उसकी प्रॉपर्टी (Propety) का बंटवारा उत्तराधिकार के तौर पर होगा ना कि कौन जीवित है इस आधार पर।

यह एक तरीके से हिंदू अविभाजित परिवार का खात्मा था। साल्वे कहते हैं कि हिंदू अविभाजित परिवार के तहत सिर्फ TAX से जुड़ी छूट मिलती है।

देश की विविधता के खिलाफ नहीं UCC, एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा…-UCC not against the diversity of the country, said Advocate Harish Salve…

आजतक जो सबसे बड़ा भ्रम फैलाया गया

साल्वे कहते हैं कि ऐसे में जो लोग संवैधानिक कानून की चिंता करते हैं, उनके लिए यह (हिंदू अविभाजित परिवार) कोई बड़ी बात नहीं होनी चाहिए।

मैं एक वकील के तौर पर आपको बता रहा हूं कि आजतक जो सबसे बड़ा भ्रम (Confusion) फैलाया गया है, वह यह है कि हिंदुओं को तमाम ऐसे लाभ दिए गए जो मुस्लिमों को नहीं मिले।

लेकिन ऐसा कतई नहीं है। वह कहते हैं कि दूसरे धर्मों की तरह, हिंदुओं के रीति-रिवाज (Hindu Customs) में भी कई तरह की खामियां थीं लेकिन बहुत सुधार भी हुए हैं।

उदाहरण के तौर पर- तमाम ऐसे हिंदू थे जो सती प्रथा को मानते थे, लेकिन अब आधुनिक समाज (Modern Society) में इसकी कोई जगह नहीं है। जब सती प्रथा को खत्म किया गया तो कितना हंगामा हुआ, यह सबने देखा है।

देश की विविधता के खिलाफ नहीं UCC, एडवोकेट हरीश साल्वे ने कहा…-UCC not against the diversity of the country, said Advocate Harish Salve…

जबरन अपने धर्म को मानने की मजबूरी से बचाएगा UCC

टाइम्स नाउ को दिए एक इंटरव्यू में हरीश साल्वे कहते हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) किसी भारतीय को जबरन अपने धर्म को मानने की मजबूरी से बचाएगा और यह किसी भी सूरत में देश की विविधता के खिलाफ नहीं है।

बल्कि जबरन थोपी गई विविधता के खिलाफ जरूर है। साल्वे इसे एक उदाहरण से समझाते हैं।

कहते हैं कि इन दिनों मैं एक मुकदमे में पेश हो रहा हूं, जिसमें सवाल यह है कि क्या एक मुस्लिम परोपकारी शख़्स ट्रस्ट बना सकता है? बॉम्बे वक्फ बोर्ड की दलील है कि वह ऐसा नहीं कर सकता है।

मुस्लिम है तो सिर्फ वक्फ बना सकता है, ट्रस्ट नहीं। लेकिन कल को कानून मुस्लिम शख्स को Trust बनाने की इजाजत दे देता है तो क्या इसका मतलब यह है कि कोई भी धार्मिक मुस्लिम (Religious Muslim) वक्फ नहीं बना सकता है? बिल्कुल वह ऐसा कर सकता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड इसके आड़े नहीं आएगा।

क्या सिविल कोड इसे छीन सकता है?

तो फिर कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद जैसे लोग क्यों कह रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है?

इसके जवाब में साल्वे कहते हैं कि संविधान कहता है कि सरकार को किसी भी शख्स को अपने धर्म के अनुसार जीने के अधिकार को मान्यता देनी चाहिए। क्या सिविल कोड (Civil Code) इसे छीन सकता है? ऐसा बिल्कुल नहीं है।

आइए उदाहरण से समझे

उदाहरण के लिए यदि कोई कैथोलिक क्रिश्चियन (Catholic Christian) मानता है कि कैथोलिक तलाक नहीं लेते हैं, लेकिन उसकी शादीशुदा जिंदगी अच्छी नहीं चल रही है और कानून तलाक लेने की इजाजत देता है तो क्या वह तलाक नहीं लेगा?

क्या वह चर्च के पास जाएगा और पादरी उससे कहेगा कि तलाक मत लीजिए। ऐसे में क्या वह पादरी की बात मानते हुए तलाक नहीं लेगा? वह कहेगा कि मैं परंपरागत कानून को नहीं मानूंगा और मैं तलाक चाहता हूं तो बिल्कुल ऐसा कर सकता है।

अपने धर्म को मानने का अधिकार नहीं छीनेगा UCC

हरीश साल्वे कहते हैं कि महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर भी समान नागरिक संहिता चाहते थे क्योंकि यह स्वतंत्रता देता है। साल्वे तर्क देते हैं कि लगभग सभी धर्मों ने ऐतिहासिक तौर पर महिलाओं को सशक्त नहीं बनाया लेकिन Uniform सिविल कोड उन्हें सशक्त बनाएगा। सिविल कोड (Civil Code) किसी भी शख्स को अपने धर्म को मानने का अधिकार नहीं छीनेगा।

आखिर UCC किस तरह मेरे खिलाफ है?

क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) अल्पसंख्यक विरोधी है? साल्वे कहते हैं कि मैं खुद अल्पसंख्यक समुदाय से आता हूं और क्रिश्चियन हूं। आखिर UCC किस तरह मेरे खिलाफ है।

यदि मैं बतौर क्रिश्चियन शादी, तलाक और उत्तराधिकार के संबंध में ईसाई धर्म के नियम-कानून को मानना चाहता हूं तो बिल्कुल मान सकता हूं, नहीं मानना चाहता हूं तो नहीं मानूंगा।

कौन रोक सकता है? साल्वे कहते हैं कि इस्लाम में बहु-विवाह (Polygamy) काफी विवादित मुद्दा है। मैं कोई कुरान का जानकार नहीं हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि चार साथियों को किसी भी तरह से तार्किक ठहराया जा सके।

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