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Ukraine में लगे ब्रेक के बाद देश में निर्मित होंगे वंदे भारत के 200 स्लीपर कोच

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नई दिल्ली: रेलवे के आत्मनिर्भर भारत के तहत तैयार की जा रही वंदे भारत पर यूक्रेन के ब्रेक लगाने की चर्चा के बीच, इस ट्रेन को स्लीपर वर्जन में लाने के लिए 200 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों के लिए निविदा आमंत्रित किया गया है जोकि लातूर कारखाने में बनेंगे।

दरअसल सिटिंग चेयर के बाद अब भारतीय रेल स्लीपर कोच वाली तेज रफ्तार 200 नई वंदे भारत ट्रेन चलाएगी। जिनका निर्माण लातूर के कारखाने में किया जायेगा। इन ट्रेनों को भारतीय रेलवे प्राइवेट प्लेयर्स की मदद से तैयार कराएगी।

इन 200 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की कुल लागत तकरीबन 26,000 करोड़ रुपए के आसपास रहेगी। स्लीपर कोच वाली वंदे भारत एक्सप्रेस राजधानी ट्रेनों की जगह चलाई जाएंगी।

इसी चरण में हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खजुराहो से वंदे भारत एक्सप्रेस के प्रचालन की घोषणा की। हालांकि वंदे भारत के निर्धारित समय से देर से शुरू होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

भारत ने यूक्रेन में आधारित कंपनी को 36,000 पहियों के लिए 16 मिलियन डॉलर की कीमत पर ऑर्डर दिए थे। यूक्रेन पहियों का दुनिया के सबसे बड़े सप्लायर्स में से एक है। यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद ज्यादातर कर्मचारियों व कंपनियों ने नए उत्पादन को बंद कर दिया है।

वंदे भारत में लगने वाले इन पहियों को यूक्रेन के ब्लैक सी पोर्ट से महाराष्ट्र के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट तक लाने की योजना थी, लेकिन अब इसमें देरी होगी। समय पर डिलिवरी नहीं होने से 7,500 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट अटक गया है।

इस बीच रेल राज्यमंत्री दर्शनाबेन जरदोश ने कहा कि यूक्रेन से व्हील और एक्सल को जहाज व विमान से मंगाने पर विचार किया जा रहा है।फिलहाल यूक्रेन से पड़ोसी देश रोमानिया लाकर अब तक तैयार हुए 128 पहियों को वहां से एयर लिफ्ट कराया जायेगा।

जिसकी मदद से वंदे भारत का ट्रायल शुरू किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार, यूक्रेन में युद्ध के चलते अब भारत ने स्पीड ट्रेनों में लगने वाले पहियों के आर्डर चेक गणराज्य, पोलैंड और अमेरिका को दे दिए हैं।

अन्य देशों के साथ आर्डर देने के कदम से खरीद की लागत काफी हद तक बढ़ जाएगी।हालांकि चैन्नई में स्थित इंटरनल कोच फैक्ट्री के पूर्व जनरल मैनेजर सुधांशु मणि के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सप्लाई को लगा झटका रेलवे के लिए बड़ी रूकावट नहीं है।

पहियों का रैक वैसे भी मई से पहले नहीं आने वाला था। और अब यह जून या जुलाई के करीब ही आएगा। अगर पहले रैक के लिए न्यूनतम 128 पहियों की जरूरत पड़ती है, तो वे ट्रायल शुरू कर सकते हैं और वे यूक्रेन से रोमानिया के जरिए डिलीवरी को तेज करने की कोशिश कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की रेलवे फैक्ट्री में यह व्हील तैयार हो सकते हैं लेकिन क्षमता कम होने के कारण यूक्रेन की एक कंपनी को इस कार्य का ऑर्डर दिया गया था।

गौरतलब है कि रेलवे ने स्लीपर वंदे भारत में तीन क्लास चलाने का फैसला किया है। फस्र्ट एसी, सेकेंड एसी और थर्ड एसी। इसके अलावा स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस में डिब्बों की संख्या भी अलग-अलग होगी।

बताया जा रहा है कि भारतीय रेल 16, 20 और 24 डिब्बों वाली स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की योजना बना रही है। भारतीय रेल ने 200 स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए टेंडर जारी किया है।

टेंडर की आखिरी तारीख 26 जुलाई 2022 निर्धारित की गई है। मौजूदा वंदे भारत एक्सप्रेस के अपग्रेडेशन का काम महाराष्ट्र के लातूर में स्थित मराठवाड़ा रेल कोच फैक्टरी में किया जाएगा या फिर चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्टरी में किया जाएगा।

वहीं स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी। ये स्लीपर ट्रेन यात्रियों को लेकर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से पटरियों पर दौड़ेगी और टेस्टिंग के दौरान इसकी स्पीड 180 किलोमीटर प्रति घंटा होगी।

रेल मंत्रालय स्लीपर सुविधाओं वाली 200 वंदे भारत ट्रेनों की तीसरी खेप की खरीद की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए रेलवे ने 24,000 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया है।

इससे पहले केंद्रीय बजट 2022-23 में 400 और वंदे भारत ट्रेनों की खरीद की घोषणा की गई थी। बजट प्रावधान के अनुसार, 16 डिब्बों वाली एक वंदे भारत ट्रेन पर 120 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

हालांकि अब तक, रेलवे ने 102 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को केवल बैठने की व्यवस्था के साथ चुना है। जबकि रेलवे पहले ही इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 44 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए मेधा को ठेका दे चुका है, ऐसी 58 और ट्रेनों की खरीद के लिए बोली प्रक्रिया अभी जारी है।

संस्करण -3 के रूप में कहा जाता है कि वंदे भारत की यह बहुत सारी ट्रेनें हल्की, ऊर्जा-कुशल और अतिरिक्त यात्री सुविधाओं के साथ अधिक आधुनिक सुविधाओं से लैश होंगी। साथ ही वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्री परम्परागत रेडियो संगीत का लाभ उठा सकेंगे।

वंदे भारत एक्सप्रेस के लिए बोली लगाने वालों को एल्युमीनियम और स्टील दोनों तरह के डिब्बों के विकल्प दिए जाएंगे। आगामी 200 वंदे भारत सेवा में एसी-1, एसी-2 और एसी-3 कक्षाएं होंगी।

लेकिन अगर निर्माता स्टील का विकल्प चुनता है, तो उसे पहले वाले से कम वजन का होना चाहिए क्योंकि नई तकनीक के उपयोग के साथ हल्के वजन वाले बोगी, ट्रांसफार्मर और मोटर आदि के लिए विनिर्देश तैयार किए जा रहे हैं।

संस्करण -3 वंदे भारत रात भर की यात्रा के लिए है और इसके चरणों में राजधानी और दुरंतो सेवाओं को बदलने की संभावना है।वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में वाणसी से नई दिल्ली के बीच की थी। इसे ट्रेन 18 के नाम से भी जाना जाता है। यह देश की अपनी तरह की पहली और सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है। इसका लुक बुलेट ट्रेन से मिलता-जुलता है।

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