झारखंड

झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के बाद लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य लटका अधर में

रांची: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) के फैसले के बाद लाखों अभ्यर्थियों का जीवन अब अधर में लटक गया है। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की ओर से आयोजित होने वाली एक दर्जन से अधिक प्रतियोगिता परीक्षाओं में इन्होंने आवेदन किया है।

JSSC स्नातक स्तर परीक्षा संचालन संशोधन नियमावली-2021 में हिंदी व अंग्रेजी भाषा को बाहर कर दिया गया था। इसे झारखंड हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी थी।

नियमावली के नियम सात, जिसके द्वारा पेपर-दो, जो एक अनिवार्य विषय है, से हिंदी व अंग्रेजी को हटा दिया गया है।

पेपर-दो चिह्नित क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा, इसमें 12 चिह्नित क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा जैसे उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी (मुंडा), हो, खड़िया, कुडुख (उरांव), कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया में से किसी एक भाषा की परीक्षा विकल्प के आधार पर अभ्यर्थी दे सकेंगे।

जिलों के अनुसार पद

बोकारो 891 962

चतरा 958 1524

देवघर 1205 1415

धनबाद 986 1142

दुमका 141 1829

गढ़वा 833 1008

गिरिडीह 1906 2687

गोड्डा 880 1160

गुमला 767 1160

हजारीबाग 824 1061

जामताड़ा 616 918

खूंटी 455 612

जिला एक से पांच छह से आठ

कोडरमा 378 597

लातेहार 634 903

लाेहरदगा 285 429

पाकुड़ 566 783

पलामू 1542 3182

प सिंहभूम 1226 1436

पूर्वी सिंहभूम 910 1226

रामगढ़ 324 429

रांची 1186 1601

साहिबगंज 736 1011

सरायकेला 865 1374

सिमडेगा 439 660

मुख्यमंत्री से शीघ्र निर्णय लेने की मांग

खतियानी जोहार यात्रा में युवाओं के एक समूह ने मुख्यमंत्री से मिलकर नियोजन नीति को लेकर हाइकोर्ट के फैसले पर निर्णय लेने की बात कही। वहीं युवाओं के एक समूह ने सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के रुख का विरोध भी किया।

वहीं एक छात्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) अगर गये तो फांसी लगा लेंगे सर। दरअसल, अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा था कि हाइकोर्ट के फैसले की जानकारी मिली है, फैसले में क्या है, पहले देखेंगे और कानूनविदों की राय लेंगे. जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगे।

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