रांची: झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि अतीत की घटनाओं से अवगत होकर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों से सबको प्रेरणा लेना चाहिए। इतिहास में वास्तविकता आनी चाहिए, शोधकर्ता अपने शोध में इस दिशा में ध्यान दें।
वे बुधवार को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी तथा प्रदर्शनी के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव का अर्थ नए विचारों का अमृत है। इसका उद्देश्य देशभर में एक अभियान चलाकर देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों द्वारा दिये गये बलिदान एवं उनके योगदान से सबको अवगत कराना है।देशभक्ति की भावना जागृत करने के साथ गुमनाम शहीदों की गाथाएं जन-जन तक पहुंचाना है।
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि जब हम देशवासी पूरी तरह जान जायेंगे कि हमें स्वाधीनता कितनी कठिनाई से मिली, इसके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को कितना संघर्ष करना पड़ा, कितनी यातनाएं झेलनी पड़ी तो हर देशवासी में राष्ट्रभक्ति की भावना स्वतः ही जागृत हो जायेगी।
वे मातृभूमि से प्रेम की अहमियत को समझ पायेंगे।उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव हमें यह भी अवसर देता है कि हम अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने इतिहास को और भी गहराई से जानें।इससे सबको पता लगेगा कि भारत माता ने कैसे-कैसे वीरों को जन्म दिया है।
स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए बहुत सारे देशवासी शहीद भी हुए, जिनमें कुछ लोग ऐसे थे जिनकी उम्र बहुत कम थी लेकिन अपने वतन को लेकर इतना प्रेम था और देश प्रेम की भावना इतनी प्रबल थी कि बिना किसी भय के ब्रिटिश हुकूमत को कड़ी चुनौती दी और उनका डटकर सामना अपनी आखिरी सांस तक किया। इस मौके पर कई लोग मौजूद थे।