रांची: झारखंड में पिछले क सप्ताह से चल रही राजनीतिक हलचल (Political turmoil) के चलते प्रदेश के विधायक से लेकर मंत्री तक इधर से उधर भागते फिर रहे हैं।
फिलहाल विधायक छत्तीसगढ़ की राजधानी में बैठे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री खुद रांची में मौजूद हैं। जबकि गुरुवार देर शाम ही कांग्रेस कोटे के चार मंत्री रांची लौट आए।
इनके लौटते ही मुख्यमंत्री Hemant Soren ने अपने आवासीय कार्यालय में कई जरूरी कामों को निपटाया। कैबिनेट की गुरुवार को होने वाली बैठक को देखते हुए उन्होंने अधिकारियों के साथ कई अहम प्रस्तावों की फाइलों पर विचार करते हुए कई को अनुमोदित भी किया।
वहीं, बताया जा रहा है कि गुरुवार को होने वाली बैठक को लेकर ही कांग्रेस कोटे के चार मंत्री रायपुर से रांची लौट आए।
बैठक के मद्देनजर झारखंड सरकार (Jharkhand government) सियासी संकट के निपटने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने से संबंधित प्रस्ताव पर मुहर लगा सकती है। बताया यह भी जा रहा है कि विधानसभा (Assembly) के विशेष सत्र में सरकार विश्वास मत पेश कर सकती है।
कई प्रस्तावों पर लग सकती है मुहर
ज्ञात है कि एक हफ्ते पहले भारत निर्वाचन आयोग की ओर से हेमंत सोरेन के खनन लीज मामले में सुनवाई के बाद उन्हें विधानसभा सदस्यता (Assembly membership) से अयोग्य किये जाने का मंतव्य राज्यपाल को सौंपे जाने की बात कही जा रही है।
इस संबंध में राजभवन की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। ऐसी स्थिति में महागठबंधन में बेचैनी देखी जा रही है। सरकार बचाने की कोशिश में सत्ता पक्ष के ज्यादात्तर विधायकों को रायपुर में एक साथ रखा गया है।
झारखंड में जारी सियासी संकट (Political crisis) के बीच गुरुवार शाम चार बजे बुलाई गई कैबिनेट की बैठक को अहम माना जा रहा है। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के लंबे समय से लंबित मानदेह वृद्धि के अलावा कई और प्रस्तावों पर मुहर मुमकिन है।
किसानों को राहत देने पर हो सकता है निर्णय
सुखाड़ की मार को देखते हुये किसानों को राहत देने के प्रस्ताव पर भी सरकार का निर्णय आ सकता है। पंचायत सचिवों के संबंद्ध में भी प्रस्ताव लाये जाने की संभावना है।
हजारीबाग नगरपालिका (Hazaribagh Municipality) द्वारा रसीद निर्गत करने की प्रक्रिया को सरल बनाने संबंधित राजस्व विभाग के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग सकती है।
मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत प्रभावित पात्र लोगों की चिकित्सा के लिये विभागीय स्तर से चिकित्सा सहायता अनुदान की राशि पांच लाख से बढ़ा कर 10 लाख रुपये करने के प्रस्ताव पर भी मुहर लग सकती है।
बहरहाल, झारखंड में तो नेता अपनी सरकार (Government) बचाने में जुटे हुए हैं। लोगों में चर्चाएं हैं कि सरकार को जनता से कोई लेना देना नहीं है। वह अपनी ही मस्ती में डूबे हुए हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि विस सत्र में क्या होगा।