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सेना प्रमुख बोले, नेपाल ने जल्द फैसला नहीं लिया तो रोक देंगे ‘गोरखाओं’ की भर्तियां

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नई दिल्ली: नई सैन्य भर्ती प्रक्रिया (Military recruitment)‘अग्निपथ’ स्कीम को लेकर भारत और नेपाल (India-Nepal) के बीच तनातनी बढ़ गई है।

नेपाल ने अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) के तहत भर्तियां रोक दी हैं, जिसके लिए रैलियां शुरू होनी थीं।

इस पर सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी कह दिया है कि अगर नेपाल समय पर निर्णय नहीं लेता है, तो भारत को नेपाली सैनिकों की भर्ती रिक्तियों (Recruitment Vacancies) को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

इस वजह से नेपाल के साथ पहले से नाजुक चल रहे संबंधों पर और ज्यादा प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई है।

नेपाली गोरखाओं की वार्षिक भर्ती

Indian Army में भर्ती के लिए इसी साल 14 जून को घोषित की गई ‘अग्निपथ’ स्कीम के तहत देशभर में भर्ती रैलियों और चयन प्रक्रिया के माध्यम से पहले चरण में कुल 40 हजार अग्नि वीरों की भर्तियां की जानी हैं।

इसके लिए दिसंबर में लगभग 25 हजार और फरवरी में 15 हजार अग्नि वीरों को प्रशिक्षण दिया जाना है।

भारत ने ‘अग्निपथ’ स्कीम के तहत मित्र देश नेपाल को भी सैनिकों की भर्ती के आमंत्रित किया था, ताकि सेनाओं में गोरखाओं की संख्या में इजाफा किया जा सके।

दरअसल, भारतीय सेना (Indian Army) में नेपाली गोरखाओं की वार्षिक भर्ती धीरे-धीरे घटकर लगभग 1,500 हो गई है, जो पहले प्रतिवर्ष 4,000 थी।

Indian Army में इस समय सात गोरखा राइफल्स रेजिमेंट (Seven Gorkha Rifles Regiment) हैं, जिनमें लगभग 30 हजार नेपाली नागरिक सेवा कर रहे हैं। प्रत्येक रेजिमेंट में पांच से छह बटालियन हैं।

नेपाल में 1.3 लाख से अधिक पूर्व सैनिक भी हैं, जो भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से अपनी पेंशन प्राप्त करते हैं।

अग्निपथ योजना के तहत 1300 नेपाली युवाओं की भर्ती की जानी है। नेपाल में भर्ती रैली के लिए लिए गोरखा रिक्रूटमेंट डिपो (Gorkha Recruitment Depot) ने नेपाल के बुटवल और धरान में भर्ती रैली की तारीख की घोषणा की थी।

बुटवल में 25 अगस्त से 7 सितंबर तक नेपाली गोरखाओं के लिए भर्ती होनी थी और धरान में 19 सितंबर से 28 सितंबर तक भर्ती की तारीख निकाली गई थी लेकिन नेपाल सरकार की ओर से कोई जवाब न मिलने के कारण यह भर्ती रैलियां टालनी पड़ी है।

नेपाली गोरखाओं की भर्ती नीति की समीक्षा होनी चाहिए

नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Former Prime Minister KP Sharma Oli) की सरकार में विदेश मंत्री रहे प्रदीप ज्ञवाली के मुताबिक अग्निपथ योजना 1947 की त्रिपक्षीय संधि का उल्लंघन है।

1947 की त्रिपक्षीय संधि के बाद जिन सेवा शर्तों और सेवा अवधि के साथ नेपाल के नागरिकों को भारतीय सेना में भर्ती किया जा रहा था, उसमें अचानक किया गया बदलाव किसी भी स्वरूप में स्वीकार नहीं होगा।

भारतीय सेना (Indian Army) में नेपाली गोरखाओं की भर्ती नीति की समीक्षा होनी चाहिए।

हमारे नागरिक किसी दूसरे देश की सेना में जाकर किसी तीसरे देश से क्यों लड़ेंगे? इन दोनों पक्षों के आधार पर त्रिपक्षीय संधि की समीक्षा की जरूरत है।

‘अग्निपथ’ स्कीम को लेकर नेपाल के इस रवैये पर थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (Think Tank United Service Institution of India) के एक कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा कि अगर काठमांडू निर्धारित तारीखों के अनुसार भर्ती रैलियों की अनुमति नहीं देता है तो नेपाली गोरखाओं की भर्ती के लिए आवंटित रिक्तियों को कुछ समय के लिए दूसरों को देना पड़ेगा।

अगर नेपाल समय पर निर्णय नहीं लेता है, तो भारत को नेपाली सैनिकों की भर्ती रिक्तियों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

जनरल पांडे ने कहा कि भारत ने 11.7 लाख रुपये के सेवा निधि निकास पैकेज के साथ 75% युवा सैनिकों को चार साल बाद स्थाई सेवा में लेने के बारे में नेपाल को बताया था, लेकिन नवंबर में होने वाले आम चुनाव से पहले कोई निर्णय लेने की संभावना नहीं है।

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