पश्चिमी सिंहभूम: वाकई इन ग्रामीणों (Villagers) ने सूझबूझ के साथ यह बड़ा फैसला (Big Decision) लिया है कि वन अधिकार कानून (Forest Rights Act) के तहत उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) का बहिष्कार करेंगे।
पश्चिमी सिंहभूम जिले (West Singhbhum District) के बंदगांव प्रखंड के वन ग्रामों को राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग की जा रही है। अगर सरकार ने ऐसा नहीं किया तो करीब 80 वनग्रामों के ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है।
ग्रामीणों ने ग्रामसभा कर यह निर्णय लिया
ग्रामीणों ने ग्रामसभा (Gram Sabha) कर यह निर्णय लिया है। मौके पर मानी हंस मुंडा, विल्सन सोय, मंगलदास हंस, माधो पूर्ती, धर्मदास बंकिरा, मोर्गा सोय, अभिराम हंस मुंडा, पौलुस पूर्ति आदि लोग मौजूद थे।
राज्यपाल, CM सहित 15 मंत्री-अधिकारी को सौंपा गया मांग पत्र
वनाधिकार समिति (Forest Rights Committee) के अनुमंडल सदस्य मानी हंस मुंडा के नेतृत्व में बंदगांव प्रखंड के वनग्रामों के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग को लेकर राज्यपाल CP राधाकृष्णन, CM हेमंत सोरेन, कल्याण मंत्री चम्पई सोरेन सहित 15 अधिकारियों को मांग पत्र सौंपा है।
इन अधिकारियों में पश्चिमी सिंहभूम डीसी अनन्य मित्तल, मानव आयोग, वन प्रमंडल पदाधिकारी (Forest Divisional Officer), एसडीओ, वन मंत्री, CO, BDO समेत अन्य को शामिल किया गया है।
मानी हंस मुंडा के संवैधानिक तर्क
मानी हंस मुंडा (Mani Hans Munda) ने कहा कि वन अधिकार कानून 2006, नियम 2008 और संशोधन नियम 2012 के तहत केन्द्र सरकार (Central Government) ने पति-पत्नी दोनों के नाम से वन भूमि जमीन को 10 एकड़ देने का प्रावधान दिया है।
पोड़ाहाट में वन विभाग के लोगों ने दावा पत्रों में कटौती करके 1 एकड़ या 2 एकड़ वन पट्टा जमीन दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सामुदायिक एवं सीमांकन नाजिर नक्शा के अंदर का चरागाह जंगल से वन उपज को संग्रह करना और जंगल की रक्षा करना, ग्राम सभा का अधिकार है।