कोलकाता: पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग (SSC) के जरिए बड़े पैमाने पर शिक्षकों की भर्ती में धांधली के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है।
कोर्ट से शिक्षक भर्ती मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया।कोर्ट के इस आदेश से गैरकानूनी तरीके से नियुक्त लोगों पर नौकरी जाने और वेतन की वसूली की तलवार लटक गई है।
बुधवार को न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और आनंद कुमार मुखर्जी की खंडपीठ ने न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ के शिक्षक भर्ती में सबसे बड़ी धांधली की केंद्रीय अन्वेषण (CBI) जांच संबंधी आदेश को बहाल रखा।
कोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय एजेंसी तत्काल इस भर्ती धांधली की जांच शुरू करे। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायमूर्ति गांगुली ने गैरकानूनी तरीके से नियुक्त किए गए लोगों का वेतन रोकने और उनसे वेतन के रूप में भुगतान किए गए राशि वसूली संबंधी जो आदेश पूर्व में दिए हैं, वे भी बहाल रहेंगे।
यदि ऐसा होता है तो गैरकानूनी तरीके से नियुक्त लोगों की नौकरी तो जाएगी ही साथ ही उनसे वेतन के रूप में दी गई राशि की वसूली भी होगी।
उल्लेखनीय है कि एसएससी के जरिए ग्रुप सी, ग्रुप डी, नौवीं और दसवीं श्रेणी में शिक्षक नियुक्ति संबंधी कुल सात मामलों में न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
बाद में राज्य सरकार ने प्रत्येक मामले में एकल पीठ के फैसले के खिलाफ खंडपीठ में याचिका दायर की थी। खंडपीठ ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद एकलपीठ के आदेश पर स्थगन लगाया था।
कैसे हुआ नौकरी में खेला
इसके साथ ही पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक कुमार बाग के नेतृत्व में एक जांच कमेटी का गठन किया गया था। बाग कमेटी ने गत 13 मई को हाई कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है, जिसमें बताया है कि ग्रुप सी में 381 लोगों की गैरकानूनी तरीके से नियुक्ति हुई।
इन में से 222 लोगों ने तो परीक्षा ही नहीं दी थी जबकि बाकी 159 लोग फेल हो गए थे फिर भी इन्हें मेरिट लिस्ट में शामिल कर शिक्षक की नौकरी दी गई।
इसके अलावा ग्रुप डी में भी 624 लोगों की इसी तरह से गैरकानूनी तरीके से नियुक्ति हुई। नौवीं और दसवीं श्रेणी में वर्तमान शिक्षा राज्य मंत्री प्रेस चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी को बिना परीक्षा और इंटरव्यू के नौकरी दे दी गई।
राज्य में संभवत अब तक का सबसे बड़ा शिक्षक भर्ती में धांधली साबित हो सकती है। माना जा रहा है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के अलावा राज्य शिक्षा विभाग के कई बड़े अधिकारी सीबीआई की गिरफ्त में आ सकते हैं।
भ्रष्टाचार में कौन-कौन से अधिकारी रहे हैं शामिल
बाग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में प्रोग्राम ऑफिसर समरजीत आचार्य का नाम भी उन लोगों की सूची में शामिल किया है, जो नियुक्ति प्रक्रिया में धांधली के लिए जिम्मेदार माने गए हैं।
आचार्य तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के ओएसडी रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि 1005 (ग्रुप सी में 381 और ग्रुप डी में 624) लोगों को शिक्षक के तौर पर गैरकानूनी तरीके से भर्ती किया गया है।
बाग कमेटी की रिपोर्ट में SSC Chairman Soumitra Sarkar, मध्य शिक्षा परिषद के चेयरमैन कल्याणमय गांगुली, एसएससी के सचिव अशोक कुमार साहा, पूर्व चेयरमैन सुब्रत भट्टाचार्य, आंचलिक चेयरमैन शर्मिला मित्रा, सुभोजित चटर्जी, शेख सिराजुद्दीन, महुआ विश्वास, चैताली भट्टाचार्य और बोर्ड के टेक्निकल ऑफिसर राजेश लायक को इस धांधली के जिम्मेदार ठहराते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।