नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि वह बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई सजा को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 7 अगस्त को अंतिम सुनवाई शुरू करेगा। यह जघन्य अपराध 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के दौरान किया गया था।
अंतिम सुनवाई 7 अगस्त को
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना (Justice B.V. Nagaratna) और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां (Justice Ujjwal Bhuiyan) की पीठ ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि सभी दोषियों को उचित सजा दी गई और दलीलें पूरी हो चुकी हैं।
इसने पार्टियों को इस बीच अपने जवाब, लिखित साक्ष्य, सारांश और तारीखों की सूची दाखिल करने की स्वतंत्रता दी। अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई 7 अगस्त को होनी तय की है।
9 मई को दोषियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया
जिन दोषियों को नोटिस नहीं दिया जा सका था, उस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को दोषियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया था। इसने गुजराती और अंग्रेजी सहित स्थानीय समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था।
2 मई को केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वे बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफ करने के संबंध में दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा नहीं करेंगे और शीर्ष अदालत के अवलोकन के लिए दस्तावेजों को उसके साथ साझा करने पर सहमत हुए थे।
दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए
मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था, जब गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी। दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे।
11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ याचिकाओं का एक समूह दायर किया गया है, जिसमें बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका भी शामिल है। अन्य याचिकाएं CPI-M नेता सुभाषिनी अली, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन, पूर्व IPS अधिकारी मीरान चड्ढा बोरवंकर, अस्मा शफीक शेख (Asma Shafiq Shaikh) और अन्य ने दायर की थीं।