भोपाल: मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (Urban body elections) में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नगर निगम के महापौर (Mayor) के चुनाव हो गए हैं, क्योंकि महापौर का चुनाव सीधे जनता से होने वाला है और इनकी हार जीत राजनीतिक दल के लिए खासी महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस ने जहां 15 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है तो भाजपा में नए चेहरों को लेकर मंथन हो रहा है।राज्य में 16 नगर निगम है और बीते कार्यकाल में सभी नगर निगमों पर भाजपा का कब्जा रहा है।
इस बार के नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं और पाने के लिए सब कुछ है, तो वहीं भाजपा के लिए पाने के लिए बहुत कुछ नहीं, मगर खोने के लिए बहुत कुछ है। इसी कारण से दोनों राजनीतिक दल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं।
कांग्रेस ने 16 नगर निगमों में से 15 के महापौर पद के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है, तीन विधायकों के उम्मीदवार बनाया है। अब सिर्फ रतलाम नगर निगम के लिए उम्मीदवार की घोषणा होना बाकी है।
रतलाम नगर निगम के लिए उम्मीदवार की घोषणा होना बाकी
दूसरी ओर भाजपा अब तक नगर निगम के महापौर उम्मीदवार के एक भी नाम का ऐलान नहीं कर पाई है। पार्टी ने आगामी दो दिनों में कोर कमेटी की बैठक बुलाई है और उसके बाद ही नामों का ऐलान होगा।
पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा ने नगर निगम के महापौर के चुनाव के लिए नए चेहरों पर दांव लगाने का मन बनाया है, इसके लिए पार्टी अपने स्तर पर सर्वे भी करा चुकी है और जो सर्वे रिपोर्ट आई है वह पुराने नेताओं की बजाय नए चेहरों के पक्ष में है।
भाजपा में महापौर की उम्मीदवारी को लेकर वरिष्ठ नेताओं में खींचतान की भी चर्चा सामने आ रही है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर ऐसे स्थान है जहां वरिष्ठ नेता अपने अपने समर्थक को उम्मीदवार बनाने के लिए जोर लगाए हुए हैं।
भाजपा की उम्मीदवारी को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा है, यह भारतीय जनता पार्टी है, जिसका उम्मीदवार कमल का फूल है।
हमारे प्रत्याशी अभी घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन कार्य आज से प्रारंभ हो गया, क्योंकि हम विकास और जनता की सेवा के लिए कार्य करने वाली पार्टी हैं।
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नगरीय निकाय में महापौर के चुनाव की सबसे ज्यादा अहमियत है, क्योंकि महापौर की जीत और हार से शहरी इलाकों में पार्टी की पकड़ तय हेागी।
यह भाजपा (B J P) के लिए ज्यादा चुनौती वाले है क्योंकि पिछले कार्यकाल में सभी महापौर भाजपा के ही थे। अगर भाजपा पुराने चेहरों पर दाव लगाती है तो कई स्थानों पर मुसीबत भी खड़ी हो सकती है, यही कारण है कि भाजपा नए चेहरों पर जोर दे रही है।
बीजेपी महापौर के उम्मीदवार के तौर पर ऐसे नाम भी ला सकती है जो चौंका सकते है।