लंदन: भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना के बीच की चिट्ठी-पत्री को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
ब्रिटिश ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश ने यह फैसला करने के साथ ऐसा होने पर भारत एवं पाकिस्तान से इंग्लैंड के रिश्ते प्रभावित होने का खतरा जताया है।
ब्रिटिश इतिहासकार एंड्रयू लोनी भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन, उनकी पत्नी एडविना और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बीच लिखे गए पत्रों एवं उनकी व्यक्तिगत डायरी को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर सूचना के अधिकार ट्रिब्यूनल की शरण में गए थे।
इस ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता करते हुए न्यायाधीश सोफी बकले ने माउंटबेटन, एडविना और पंडित नेहरू से संबंधित व्यक्तिगत डायरी एवं पत्रों को जारी करने से इनकार कर दिया है।इसी ट्रिब्यूनल ने 1930 के दशक की डायरी और पत्राचार के कुछ संशोधित वर्गों का निर्धारण किया था।
उन्होंने कहा कि ये पत्राचार एवं डायरी सहित सभी कागजात ब्रिटिश एवं भारतीय इतिहास की उस महत्वपूर्ण अवधि का हिस्सा हैं, जिस दौरान माउंटबेटन भारत के विभाजन को मूर्त रूप देने का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
इन कागजातों में माउंटबेटन ही नहीं उनकी पत्नी लेडी एडविना माउंटबेटन और लॉर्ड लुइस के पत्र एवं उनकी व्यक्तिगत डायरी भी शामिल है। इस संबंध में इंग्लैंड के कैबिनेट कार्यालय ने भी इन दस्तावेजों को सार्वजनिक न करने की बात कही थी।
सरकार का कहना था कि इन दस्तावेजों में से अधिकांश जानकारी तो पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है। जो जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है, उसे वैसे ही रहना चाहिए, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के संदर्भ में कोई नई जानकारी सार्वजनिक किए जाने से इंग्लैंड के साथ इन देशों के संबंधों के प्रभावित होने का खतरा है।