नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित निर्देश देने की मांग की कि कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना आगे कोई विध्वंस नहीं किया जाए।
जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से अधिवक्ता कबीर दीक्षित और सरीम नावेद के माध्यम से दायर याचिका में राज्य में कानून के शासन और नगरपालिका कानूनों का उल्लंघन कर घरों को ध्वस्त किए जाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के निर्देश की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि वर्तमान स्थिति अधिक चिंताजनक है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में समान परिस्थितियों में दंडात्मक उपाय के रूप में किए जा रहे विध्वंस पर रोक लगाने का आदेश दिया था। यह Supreme Court के आदेशों का उल्लंघन है।
Supreme Court के आदेशों का उल्लंघन
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और सहारनपुर में शुक्रवार (10 जून) को नमाज के बाद हिंसा और नारेबाजी की घटनाएं सामने आईं, जब लोगों ने पैगंबर पर भाजपा के पूर्व प्रवक्ताओं की टिप्पणी का विरोध करना शुरू कर दिया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई का प्रतीक बुलडोजर रविवार को प्रयागराज शहर में 10 जून को भड़की हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में पहचाने जाने वाले मोहम्मद जावेद उर्फ जावेद पंप के आवास पर पहुंचा था।
प्रयागराज विकास प्राधिकरण (Prayagraj Development Authority) ने कथित रूप से बिना अपेक्षित अनुमति के बनाए गए मकान को गिराने के लिए नोटिस जारी किया था।