कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के जस्टिस जॉय सेनगुप्ता (Joy Sengupta) ने एक मामले में फैसला सुनाया कि विवादित जमीन से शिवलिंग (Shivling) को हटाया जाना चाहिए।
लेकिन उस शिवलिंग (Shivling) को बेदखल करने का फैसला दर्ज करते वक्त असिस्टेंट रजिस्ट्रार (Assistant Registrar) अचानक बेहोश हो गए। उन्हें कोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया।
कोर्ट का फैसला बदला
उधर, Assistant Registrar का हाल देख जस्टिस ने भी अपना फैसला बदल दिया। कोर्ट सूत्रों के मुताबिक, बेलडांगा स्थित खिदिरपुर निवासी सुदीप पाल और गोविंद मंडल के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
कथित तौर पर इसके बाद गोविंदा ने विवादित जमीन पर रातो-रात एक Shivling की स्थापना कर दी। सुदीप ने इसकी शिकायत थाने में की।
पुलिस ने मामले की जांच करने का आश्वासन दिया। हालांकि, जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, तब सुदीप ने कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) में मामला दायर किया।
असिस्टेंट रजिस्ट्रार अचानक बेहोश
याचिकाकर्ता सुदीप पाल के वकील तरुणज्योति तिवारी (Tarunjyoti Tiwari) ने कोर्ट को बताया कि गोविंदा ने जानबूझकर विवादित जमीन पर शिवलिंग स्थापित किया था। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इस कारण कोर्ट को इस मामले में दखल देना चाहिए। गोविंदा के वकील ने कहा, मेरे मुवक्किल ने शिवलिंग की स्थापना नहीं की, बल्कि Shivling स्वयं जमीन से निकला है।
दोनों तरफ की बहस सुनने के बाद जस्टिस जॉय सेनगुप्ता ने इस जमीन से हटाने का आदेश दिया। न्यायाधीश के इसी फैसले को रिकॉर्ड करते समय अचानक असिस्टेंट रजिस्ट्रार विश्वनाथ राय (Vishwanath Rai) बेहोश (Fainted) होकर गिर पड़े।
यह देख जस्टिस ने भी अपना फैसला बदलकर कहा कि मामला निचली अदालत में सिविल केस के माध्यम से चलाया जाए।