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CBI ने 10 साल पुराने धोखाधड़ी मामले की जांच अपने हाथ में लिया

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नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने असम की एक निजी फर्म-सेबा रियल एस्टेट लिमिटेड (Seba Real Estate Limited) – और उसके निदेशकों (Directors) के खिलाफ एक नई FIR दर्ज की है, जिन्होंने कथित तौर पर अपने एजेंटों (Agents) के माध्यम से आम लोगों को पॉलिसी बेचने के बहाने पैसे एकत्र किए, लेकिन उन्हें परिपक्व राशि (Matured Amount) नहीं देकर उन्हें धोखा दिया।

इस मामले में 25 फरवरी, 2013 को Tripura में FIR दर्ज की गई थी, जहां फर्म की शाखा थी। CBI ने अब इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है।

17 शिकायतकर्ता फर्म के एजेंट के रूप में काम कर रहे

सूत्रों के मुताबिक, Seba ने कथित तौर पर 2006 से 2011 के बीच 41,298 निवेशकों से 25.34 करोड़ रुपये जुटाए थे। पूंजी बाजार नियामक SEBI ने 2016 में सेबा को 15 फीसदी सालाना ब्याज (Interest) के साथ निवेशकों को रकम लौटाने का आदेश दिया था।

कम से कम 17 शिकायतकर्ताओं ने त्रिपुरा की एक स्थानीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने फर्म और उसके निदेशकों (Directors) के खिलाफ त्रिपुरा पुलिस में FIR दर्ज करने का आदेश दिया था।

17 शिकायतकर्ता फर्म (Complainant Firm) के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि उन्हें फर्म में एजेंट के रूप में काम करने के लिए आरोपी व्यक्तियों (फर्म के निदेशक मंडल) द्वारा नियुक्त किया गया था।

पॉलिसीधारकों ने आरोपी व्यक्तियों से कई बार संपर्क किया

फर्म के लिए काम कर रहे एजेंटों की शिकायत में लिखा था- सेबा रियल एस्टेट लिमिटेड (Seba Real Estate Limited) के एजेंटों ने त्रिपुरा में फर्म की शाखा के साथ कुल 9,06,332 रुपये जमा किए।

यह रकम कई लोगों से अलग-अलग पॉलिसी बेचने के नाम पर वसूल की गई। लेकिन उक्त अवधि पूरी होने के बाद भी फर्म द्वारा किसी को एक पैसा नहीं दिया गया।

निदेशक मंडल ने पॉलिसी धारकों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी

पॉलिसीधारकों (Policy Holders) ने आरोपी व्यक्तियों से कई बार संपर्क किया लेकिन उन्होंने परिपक्व राशि (Matured Amount) का भुगतान करने से इनकार कर दिया और Firm की शाखा को बंद कर दिया।

निदेशक मंडल (Board of directors) ने पॉलिसी धारकों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी, अगर उन्होंने उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने की हिम्मत की।

फर्म के एजेंट, जो बाद में शिकायतकर्ता बन गए, को यह भी पता चला कि फर्म के निदेशक मंडल पॉलिसी धारकों (Policy Holders) से एकत्रित धन के साथ नेपाल (Nepal) या चीन भागने की योजना बना रहे थे।

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