चाईबासा: झारखंड के चाईबासा जिले के मझगांव थाना क्षेत्र में शनिवार को तीन परिवारों ने ईसाई धर्म से सरना धर्म में वापसी की।
ये परिवार तरतरिया पंचायत अंतर्गत सिरासाई मांगापाट के गाड़ासाई टोला के रहनेवाले हैं। तीनों परिवारों के कुल नौ सदस्यों ने आदिवासी हो समाज युवा महासभा की पहल पर सरना धर्म में वापसी की।
गांव में हो समाज के मुख्य दियुरी बलदेव पिंगुवा, आदिवासी हो समाज युवा महासभा केंद्रीय कमिटी के दियुरी सदस्य नरेश पिंगुवा एवं ओरोङ्ग सकोवा (सहायक दियूरी) गोवर्धन पिंगुवा ने रीति-रिवाज के अनुसार बोङ्गा – बुरु कर सभी लोगों काे सरना धर्म में वापसी करायी। गांव के देशाउली का शुद्धिकरण किया गया।
देशाऊली के नाम पर लाल मुर्गा की बलि चढ़ाकर हल्दी-पानी, आम- पत्ता, तुलसी-पत्ता एवं अन्य प्राकृतिक पूज्य-सामग्रियों के साथ ईसाई धर्म से सरना धर्म में वापस आनेवाले तीन परिवारों के नौ सदस्यों का शुद्धिकरण किया गया।
उनके घर की भी शुद्धि करते हुए घर के चूल्हे को तोड़कर नया चूल्हा बनाया गया तथा नयी हांडी में खाना चढ़ाकर पूर्वजों का सम्मान और स्मरण किया गया।
इसके बाद परिवार – समाज की सुख-शांति के लिए पूजा अर्चना की गयी। इन परिवारों ने जागरूकता के अभाव, बहकावे एवं बीमारी ठीक होवे ने के नाम पर ईसाई धर्म अपनाया थे।
अब धीरे-धीरे जागरूक होकर पूर्वजों को याद करते सभी ने सरना धर्म में वापसी की। इनमें श्रीकांत बांकिरा (32), पत्नी, दो बेटियों एवं एक बेटे के साथ, जानुमसिंह कुल्डी (45) ने पत्नी एवं एक बेटे के साथ तथा घनश्याम कुल्डी (55) शामिल हैं।घनश्याम कुल्डी ने अपनी पत्नी, बेटा-बहू, दो पोतियों समेत कुल पांच सदस्यों को छोड़कर सरना धर्म में वापसी की।
जागरूकता कार्यक्रम का पड़ा प्रभाव
पिछले साल पांच दिसंबर को मझगांव थाना क्षेत्र के पूंडुवाबुरु में एक जाति, एक समाज एवं एक धर्म पर जागरुकता को लेकर आदिवासी हो समाज युवा महासभा की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
इसके अलावा सिरासाई, मांगापाठ एवं चतरीसाई में विभिन्न तिथियों में सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वास, खुले में नशे का सेवन, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के साथ-साथ मूल संस्कृति को बचाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम एवं नुक्कड़ सभा की गयी थी।
इससे प्रभावित होकर स्वेच्छा से आज तीन परिवार के नौ सदस्य वापस आये।
मौके पर आदिवासी हो समाज युवा महासभा के प्रतिनिधि गोविंद बिरुवा, सिकंदर हेंब्रम, मार्शल पिंगुवा, सिकंदर तिरिया, श्रीधर पिंगुवा एवं ग्रामीण मोतीलाल दिग्गी, मुन्ना बोयपाई, योगेंद्र बोयपाई, सुकरा दिग्गी, जांबिरा दिग्गी, बागुन दिग्गी, बिरसा दिग्गी, अभिमन्यु बोयपाई, राजेंद्र पाट पिंगुवा, कृष्णा पाट पिंगुवा, घासीराम दिग्गी, सामलाल बांकिरा, गंगाराम बांकिरा आदि मौजूद थे।