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Chaitra Navratri : हवन के बीना नवरात्रि पूजा अधूरी क्यों, जानें महत्व और विधि

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Chaitra Navratri :  हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ में हवन का विशेष महत्व बताया गया है।

शादी-विवाह, गृह प्रवेश जैसे मौके पर हवन का प्रावधान बताया गया है। वहीं जब बात नवरात्रि की हो तो, इसे हिंदू धर्म का खास त्योहार माना जाता है, जो शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर कन्या पूजन तक पूरे नौ दिनों तक चलता है।

वैदिक शास्त्र के अनुसार हवन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। माना जाता है कि नवरात्रि में हवन करने के बाद ही इसका पूर्ण फल मिलता है।

Chaitra Navratri: Why Navratri worship is incomplete without Havan, know its importance and method

नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए भक्त नौ दिनों का पूजा पाठ करने के साथ हवन, यज्ञ मंत्र का जाप करते हैं।

जानते हैं हवन करने की सरल विधि क्या है, हवन करने के दौरान किन बातों का ध्यान रखें और हवन के दौरान किन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।

हवन का महत्व

दरअसल हवन को हिंदू धर्म का प्रमुख कर्मकांड माना जाता है। हवन के दौरान आम की लकड़ी की अग्नि में कुछ सामग्री का मिश्रण डाला जाता है।

मान्यता है हवन में डाले गए इन सामग्रियों से वातावरण शुद्ध होता है और नकारात्मकता दूर होती है।

साथ ही हवन के दौरान किए गए मंत्रों के जाप से देवी-देवता तृप्त होते हैं। नारद पुराण के अनुसार दुर्गा पूजा में हवन को खास बताया गया है।

ध्यान रखने योग्य बातें

• अष्टमी और नवमी तिथि पर किए जाने वाले हवन से पहले कुंड का पंचभूत संस्कार जरूर करें।
• सबसे पहले वेदी को साफ करें और हवन कुंड पर गाय के गोबर या शुद्ध मिट्टी से लेपन करें।
• हवन कुंड पर तिलक करें और फूल अर्पित करें। इसके बाद एकाग्र चित्त मन से हवन शुरू करें।
• दुर्गा पूजा में किए जाने वाले हवन पर दुर्गा सप्तशती के 11 पाठ जरूर करें।

हवन के लिए आम की लकड़ी का ही प्रयोग करें। आम की लकड़ी से हवन के लिए अग्नि प्रज्वलित की जाती है और इसमें बेल,नीम,देवदार की जड़,चंदन की लकड़ी, तिल, कपूर,लौंग,अक्षत,अश्वगंधा की जड़,ब्राह्मी का फल, इलायची, बहेड़ा का फल,घी, लोबान जैसे सामग्रियों को डाला जाता है और मां दुर्गा के मंत्रोच्चारण के साथ हवन संपन्न होता है।

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