रांची: राज्य के औद्योगिक विकास (Industrial Development) से जुडे मुद्दों पर शनिवार को चैंबर भवन में एक समीक्षा बैठक (Review Meeting) आयोजित की गई।
बैठक में सहमति बनी कि चैम्बर राज्य के आर्थिक विकास (Economic Development) के साथ ही रोजगार सृजन (Job Creation) के लिए बंद पड़े खदानों को जल्द शुरू के लिए उद्योग और खनन विभाग (Industries and Mines Department) से आग्रह करेगा।
चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि राज्य के आर्थिक विकास के साथ ही रोजगार सृजन के लिए झारखंड में बंद पडे खदानों को जल्द शुरू किया जाना जरूरी है।
उपस्थित सदस्यों ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम जिले का पूरा आर्थिक तंत्र खनिज उद्योग पर निर्भर है लेकिन आज यही उद्योग बंद की स्थिति में है। मार्च 2020 में जब निजी खदानें बंद हुई । उससे पहले प्रति माह लगभग एक लाख टन लौह अयस्क की ढुलाई होती थी।
पश्चिमी सिंहभूम से इन जगहों में लौह अयस्क भेजा जाता था
कहा गया कि पश्चिमी सिंहभूम (West Singhbhum) जिले से झारखंड के जमशेदपुर, रामगढ़, हजारीबाग, गिरिडीह के अलावा बंगाल, उडीसा और छत्तीसगढ के प्लांटों में लौह अयस्क (Iron Ore) भेजा जाता था।
निजी खदानों के बंद होने से यह सारा काम भी बंद हो गया है। खदान बंद होने से इस जिले के लगभग 50 हजार लोगों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है।
उन्होंने कहा कि खदानों के बंद होने का असर क्रशर उद्योग पर भी पडा है। अयस्क नहीं मिलने के कारण कई क्रशर प्लांट भी बंद की स्थिति में पहुंच गये हैं।
बैठक में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष अमित शर्मा, महासचिव डॉ अभिषेक रामाधीन, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेष अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य विकास विजयवर्गीय, सदस्य संजय अखौरी, किशन अग्रवाल उपस्थित थे।