नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी स्थित कुतुब मीनार परिसर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि मंगलवार को एक दक्षिणपंथी समूह द्वारा विश्व धरोहर स्थल के परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ करने का आह्रान किया गया है।
कुतुब मीनार की उत्पत्ति विवादों में घिरी हुई है। कुछ लोगों का मानना है कि इसे भारत में मुस्लिम शासन की शुरुआत का संकेत देने के लिए एक जीत की मीनार के तौर पर बनाया गया था।
वहीं दूसरों का कहना है कि यह मुअज्जिनों के लिए एक मीनार के रूप में काम करती थी, ताकि वे विश्वासियों को प्रार्थना के लिए बुला सकें।
दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े कई लोग कुतुब मीनार के बाहर जमा
यूनाइटेड हिंदू फ्रंट (यूएचएफ) के अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने मंगलवार की दोपहर 12 बजे परिसर में पहुंचने का आह्वान किया था।
उन्होंने विशेष रूप से आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि वह दिल्ली के शाहदरा इलाके में अपने आवास पर सुबह से नजरबंद हैं। यूएचएफ अध्यक्ष ने कहा, कम से कम 10-15 पुलिसकर्मी मेरे घर के बाहर हैं। वे मुझे जाने नहीं दे रहे हैं।
भारी पुलिस तैनाती के बावजूद दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े कई लोग कुतुब मीनार के बाहर जमा हो गए थे। उन्हें हनुमान चालीसा (सनातन धर्म की एक प्रार्थना) का पाठ करते देखा गया।
गोयल ने मांग करते हुए कहा, सबसे पहले तो इसे कुतुब मीनार कहना बंद करो। जब कुतुब-उद-दीन ऐबक भारत आया था, तो उसने हिंदू और जैन मंदिरों को ध्वस्त कर दिया और इसे कुतुब मीनार कहना शुरू कर दिया।
यह कुतुब मीनार नहीं है, यह विष्णु स्तम्भ है। इसका नाम तुरंत बदला जाना चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि कई हिंदू मूर्तियां अभी भी परिसर के अंदर मौजूद हैं और उनमें से कई टूटी हुई हैं, जो इस बात का सबूत है कि वहां एक मंदिर को तोड़ा गया था।
गोयल ने कहा, कम से कम हमें उन मूर्तियों को विसर्जित करने की अनुमति दें, जो टूटी हुई हैं और परिसर के अंदर हैं।उन्होंने आगे मांग की कि जो मूर्तियां टूटी नहीं हैं, उन्हें वहां स्थापित किया जाना चाहिए और लोगों को दर्शन और प्रार्थना करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
दिल्ली पर्यटन के अनुसार, कुतुब मीनार 73 मीटर ऊंची जीत की मीनार (टावर ऑफ विक्टरी) है, जिसे दिल्ली के अंतिम हिंदू साम्राज्य की हार के तुरंत बाद कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा 1193 में बनवाया गया था।