न्यू यॉर्क: पाकिस्तानी आतंकी और जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के शीर्ष कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर पर पाबंदी के American-Indian प्रस्ताव को चीन लगातार टाल रहा है।
United Nations Security Council में प्रस्ताव पारित होने के बाद भी China इससे पीछे हटता नजर आ रहा है। इसके पीछे चीन का PAK प्रेम मूल कारण माना जा रहा है।
वैश्विक आतंकवाद के खात्मे की राह में बाधक बन रहा
चीन का पाकिस्तान (PAK) के प्रति झुकाव नई बात नहीं है किन्तु अब यह झुकाव वैश्विक आतंकवाद के खात्मे की राह में बाधक बन रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका और भारत का एक प्रस्ताव लंबित है। PAK स्थित आतंकी संगठन Jaish-e-Mohammed के शीर्ष कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर पर प्रतिबन्ध लगाने वाले इस प्रस्ताव को चीन जान बूझकर टाल रहा है। America तो वर्ष 2010 में ही रऊफ को आतंकवादियों की सूची में डाल चुका है।
इसके बाद रऊफ को वैश्विक आतंकी घोषित (Declared Global Terrorist) करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव भी पारित हो चुका है किन्तु अब चीन इससे पीछे हटता नजर आ रहा है।
PAK स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख संचालक मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर ने 1999 में महज 24 साल की उम्र में इंडियन Airlines के IC-814 विमान के अपहरण की साजिश रची थी।
इस विमान में 173 लोग सवार थे। विमान के अपहरण के कारण Bharat को रऊफ के बड़े भाई और जैश के सरगना मसूद अजहर को रिहा करना पड़ा था।
तभी से रऊफ Bharat के टॉप पांच मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में शामिल है। Bharat में हुए जैश के आतंकी हमलों की योजना बनाने में असगर का ही नाम सामने आया है जिसमें 2001 का जम्मू कश्मीर विधानसभा पर हमला, संसद हमला, पठानकोट हमला, नगरोटा और कठुआ कैंप पर हमला और हाल ही में हुआ पुलवामा आतंकी हमला भी शामिल है।