विदेश

चीन लद्दाख से अरुणाचल तक घुसपैठ की ताक में, सेना और ITBP हाई अलर्ट पर

अरुणाचल प्रदेश के कई स्थानों पर यूएवी नेटवर्क का विस्तार कर रही है पीएलए

नई दिल्ली: चीन की सेना (पीएलए) लद्दाख से अरुणाचल तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ कई संवेदनशील स्थानों पर नए सिरे से घुसपैठ की योजना बना रही है। इन्हीं स्थानों पर अतीत में भी चीन के सैनिक घुसपैठ की कोशिश कर चुके हैं।

ताजा खुफिया सूचना मिलने के बाद भारतीय सेना और आईटीबीपी को अलर्ट कर दिया गया है। इसी तरह चीन ने विवादित क्षेत्र हॉट स्प्रिंग्स में चार नए मोबाइल टॉवर लगाए हैं और एलएसी के करीब उपग्रह संचार प्रणाली का परीक्षण कर रहा है।

खुफिया इनपुट से पता चलता है कि चीन की सेना लद्दाख से अरुणाचल तक वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ कई ‘संवेदनशील’ स्थानों पर नए सिरे से घुसपैठ की योजना बना रही है।

सेना को अपनी परिचालन और बुनियादी ढांचा क्षमताओं को बढ़ाने के साथ ही इन संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कहा गया है।

अग्रिम इलाकों में तैनात जवानों को एलएसी पर चीनी सेना की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। मौजूदा समय में एलएसी के साथ दोनों सेनाओं के 14 हजार फीट और उससे अधिक ऊंचाई पर लगभग 50 से 60 हजार सैनिक तैनात हैं।

भारत और चीन के बीच अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी हैं लेकिन पीएलए ने हॉट स्प्रिंग्स और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देप्सांग मैदान से पीछे हटने को तैयार नहीं है।

हालांकि, चीन आंशिक रूप से गलवान घाटी, गोगरा और पैन्गोंग झील के दोनों किनारों से पीछे हट गया है। अचिह्नित एलएसी को लेकर भारत और चीन की धारणाएं भिन्न हैं, इसीलिए दोनों सेनाएं अक्सर एक दूसरे पर घुसपैठ का आरोप लगाती हैं।

नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब के क्षेत्रों में अपने मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) नेटवर्क का विस्तार कर रहा है

दोनों देश मई, 2020 से लद्दाख में कई बिंदुओं पर सीमा गतिरोध में बंद हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने भारत के दावे वाले क्षेत्र के करीब 1,000 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया है।

इस साल जनवरी में भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि चीन की सीमा पर खतरे का स्तर कम नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा था कि भारत की सेना ‘दृढ़ और शांतिपूर्ण तरीके से’ पीएलए का मुकाबला कर रही है क्योंकि सीमा पर ‘यथास्थिति को एकतरफा रूप से चीनी सेना ने बदलने के प्रयास किए हैं।

उन्होंने कहा था कि उत्तरी सीमाओं पर हमारी क्षमता कई गुना बढ़ गई है। हम डेढ़ साल पहले की तुलना में काफी बेहतर स्थिति में हैं और अब किसी भी स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं।

चीन को विवादित क्षेत्रों से तनाव कम करने के लिए सैनिकों, हथियारों और उपकरणों को हटाने की तीन-चरणीय प्रक्रिया का सुझाव दिया गया है, इसलिए हमें इन कदमों के पूरा होने तक वहां (एलएसी) रहना होगा।

एक अन्य खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब के क्षेत्रों में अपने मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) नेटवर्क का विस्तार कर रहा है।

चीनी पीएलए उत्तरी सीमाओं, एलएसी और अब अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों में कई स्थानों पर तियानटोंग उपग्रह संचार प्रणाली का परीक्षण कर रहा है।

भारतीय सेना और वायु सेना भी अपने यूएवी बेड़े को अपग्रेड कर रही है

आधिकारिक सूत्रों ने खुफिया जानकारी के हवाले से कहा कि मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद से तिब्बत में और एलएसी के साथ पीएलए ने यूएवी की तैनाती बढ़ाई है। चीन के एक एकीकृत कमांड सेंटर से यूएवी उड़ानों को संचालित करके व्यापक निगरानी की जाती है। चीन तिब्बत में एलएसी के करीब अपने उन्नत यूएवी को तेजी से तैनात कर रहा है।

इसके अलावा कई स्थानों पर और विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश के विपरीत सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग किया गया है।

चीन ने सीमा पर तैनात अपने जवानों को राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए क्वाडकॉप्टर ड्रोन के झुंड के वीडियो जारी किए हैं। इनपुट के अनुसार पीएलए की यूएवी इकाइयां नियमित रूप से अभ्यास कर रही हैं।

ऐसा ही एक अभ्यास फरवरी में आयोजित किया गया था, जिसके दौरान दूरदराज के इलाकों में सैनिकों को ड्रोन से भोजन, पानी और दवाओं की आपूर्ति की गई थी।

इसका मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना और वायु सेना भी अपने यूएवी बेड़े को अपग्रेड कर रही है। अतिरिक्त खरीद भी पाइपलाइन में हैं, जिसमें अमेरिका से 30 शिकारी सशस्त्र ड्रोन खरीदकर तीनों सेनाओं को 10-10 दिए जाने हैं।

Back to top button
Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker