नई दिल्ली: चीनी वीजा घोटाला मामले में कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram) गुरुवार को सीबीआई के समक्ष पेश हुए।
पूछताछ के दौरान उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया और कहा, मैंने एक भी चीनी नागरिक को वीजा दिलाने में मदद नहीं की है। सभी मामले फर्जी हैं।
उन्होंने कहा, मेरे खिलाफ सब मामले फर्जी हैं और यह उनमें से सबसे बड़ा फर्जी मामला है।
कार्ति ने सीबीआई के मुख्यालय पहुंचने पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, यह प्रतिशोध की राजनीति है और मेरी छवि खराब करने की कोशिश की जा रही हैं।
कार्ति को बुधवार को सीबीआई के सामने पेश होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से वह पेश नहीं हो सके।
उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट एस. भास्कररमन फिलहाल सीबीआई हिरासत में हैं।
सीबीआई को 65,000 ईमेल भी मिले है। सीबीआई इनका इस्तेमाल सबूत के तौर पर करेगी।
छापेमारी के दौरान दिल्ली के जोर बाग में की संपत्ति की बात सामने आई, जिसकी पावर ऑफ अटॉर्नी भास्कररमन के नाम पर है, जबकि संपत्ति कार्ति और उनकी मां ने खरीदी थी। इस सिलसिले में कार्ति चिदंबरम से पूछताछ की जाएगी।
अधिकारियों ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं
प्राथमिकी के अनुसार, पंजाब के मनसा स्थित निजी फर्म तलवंडी साबो पावर लिमिटेड के एक शीर्ष कार्यकारी द्वारा कार्ति चिदंबरम और उनके करीबी सहयोगी एस भास्कररमन को 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। इसके बदले कंपनी को अवैध तरीके से वीजा दिलवाया गया था।
दरअसल, बिजली परियोजना की स्थापना का काम एक चीनी कंपनी द्वारा किया जा रहा था। उस समय से यह काम काफी पीछे चल रहा था। कंपनी के एक कार्यकारी ने 263 चीनी कामगारों के लिए परियोजना वीजा फिर से जारी करने की मांग की थी।
आरोप है कि चीनी कामगारों को वीजा दिलाने के लिए कथित तौर पर 50 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर लिए गए। उस समय कीर्ति चिदंबरम के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे।
आरोप लगाया गया है कि पी चिदंबरम ने कथित तौर पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चीनी कामगारों को वीजा दिलाने में मदद की।
सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि वे मामले की जांच कर रहे हैं।