पटना: IAS अधिकारी की हत्या के मामले (IAS Officer Murder Case) में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह (Anand Mohan Singh) की रिहाई को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने दावा किया कि यह फैसला केंद्र के मॉडल जेल मैनुअल 2016 पर आधारित है।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार शाम पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह बयान दिया। अपने साथ रखी एक किताब का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, यह मॉडल जेल मैनुअल 2016 (Model Gel Manual 2016) की किताब है।
कृपया इसे पढ़ें और मुझे बताएं कि क्या कोई प्रावधान कहता है कि अगर कोई IAS अधिकारी मारा जाता है, तो दोषी को अपने पूरे जीवन जेल में रहना होगा।
2017 स 696 कैदियों को रिहा किया गया
देश के किसी भी राज्य में ऐसा कोई कानून नहीं है। इसलिए, हमने इसे बिहार में हटा दिया है। वह (आनंद मोहन) 15 साल से अधिक समय से जेल की सजा काट रहे थे। गहन चर्चा के बाद यह निर्णय लिया गया। 2017 स 696 कैदियों को रिहा किया गया है।
उन्होंने पूछा कि क्या आम लोगों और एक सरकारी अधिकारी (Government Officer) के लिए जरूरी कानून में कोई अंतर है? 27 कैदियों को रिहा किया गया है, फिर भी केवल एक व्यक्ति की रिहाई का विरोध क्यों किया जा रहा है?
भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, कुमार ने आनंद मोहन और सुशील कुमार मोदी की तस्वीर दिखाते हुए कहा, इस तस्वीर को देखें और इसका विश्लेषण करें।
कम संख्या में कैदियों को रिहा किया
मोदी इस फरवरी में आनंद मोहन से मिले और उनकी रिहाई के लिए लड़ाई लड़ी। लेकिन जब हमने रिहा किया, तो इस पर आपत्ति जताई। कुमार ने कहा, मुझे समझ नहीं आ रहा है कि पिछले दो महीनों में क्या बदल गया है कि वह अब आपत्ति कर रहे हैं।
टाडा कैदियों (Tada Prisoners) पर नीतीश कुमार ने कहा, हम किसी भी राजनीतिक दल की मांग पर विचार नहीं कर सकते। ये सभी चीजें कानून के अनुसार होंगी।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य ने अन्य राज्यों की तुलना में कम संख्या में कैदियों (Prisoners) को रिहा किया है।