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कोरोना वायरस ने गिराया अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार

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नई दिल्ली: ​अंतरराष्ट्रीय हथियारों के बाजार में भी कोरोना वायरस ने उथल-पुथल मचाई है​।​​ ​​​​अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी ​के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है तो ​​रूस और चीन​ के हथियार बाजार निर्यात में गिरावट ​आने से नीचे चले गए हैं​​।​

हालांकि भारत ने अपने मित्र देशों अमेरिका, फ्रांस, रूस और इजराइल से हथियारों की खरीदारी की है लेकिन ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान पर ध्यान केन्द्रित करने के बाद से ​भारत का हथियार आयात 33 फीसदी घटा​ है​​​।

​​हथियारों का निर्यात करने के मामले में ​​इजरायल​ को जोरदार फायदा​ हुआ है​। ​​ ​​​​​​​​​​

​स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (​सीपरी​) की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने पिछले पांच वर्षों के दौरान हथियारों के निर्यात में अपनी वैश्विक हिस्सेदारी 37 फीसदी तक बढ़ा​ई है।

​ ​​​​​अमेरिका​ के साथ ही फ्रांस और जर्मनी ​से हथियारों के निर्यात में वृद्धि ​​हुई है लेकिन रूसी और चीनी​ कंपनियों का निर्यात गिरा​ है।​ ​​​​​हथियारों के आयात में सबसे बड़ी वृद्धि मध्य पूर्व में देखी गई।​​

​सऊदी अरब के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आयातक देश बना हुआ है। ​स्वीडिश शोध संस्थान ​​सीपरी ​1966 में स्थापित किया गया था​​।​

यह सशस्त्र संघर्ष, सैन्य व्यय और हथियारों के व्यापार के साथ-साथ निरस्त्रीकरण एवं हथियारों के नियंत्रण के लिए डेटा, विश्लेषण और सिफारिशें प्रदान करता है​​।​ ​​​​

कभी दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक रहे​ ​भारत से ऑर्डर घटने के कारण इसी अवधि में रूसी हथियारों का आयात भी 22 फीसदी ​कम हुआ है।

​ हथियारों की खरीद में भारत ने रूस और अमेरिका को बड़ा झटका द‍िया है। ​हालांकि ​पिछले 5 साल की अवधि में भारत ने सबसे ज्‍यादा हथियार रूस से खरीदे हैं।

​इसके बावजूद आयात में करीब 53 फीसदी की गिरावट आई है। भारत ​पहले रूस से 70 फीसदी ​तक हथियार लेता था लेकिन अब केवल 49 फीसदी हथियार ही खरीद रहा है।​

​अमेरिका से हथियारों के आयात में भारत ने 46 फीसदी की कमी की है। ​वर्ष 2016 से 2020 के बीच ​राफेल डील​ के चलते ​​भारत का फ्रांस से हथियार आयात 709 फीसदी​ और इजरायल के साथ 82 फीसदी बढ़ गया।

राफेल विमान और उसमें लगी मिसाइलों ​की खरीद​ फ्रांस से भारत के कुल आयात का आधा​ हिस्सा​ है। ​​​​ रिपोर्ट के मुताबिक 2016 से 2020 के बीच अंतर​राष्ट्रीय स्तर पर हथियारों की बिक्री स्थिर रही​ है​।

​ ​अमेरि​का से हुए हथियारों के निर्यात का लगभग आधा ​हिस्सा 47 फीसदी मध्य पूर्व में चला गया, जिसमें अकेले सऊदी अरब ​ने अमेरि​का से 24 फीसदी हथियारों ​का निर्यात ​किया है।

​ पांच साल की अवधि में वैश्विक हिस्सेदारी बढ़ाते हुए अमेरिका अब 96 देशों को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। ​हथियार निर्यात मामले में अमेरिका चौथे पायदान पर है।​ ​

इसी तरह फ्रांस ने अपने प्रमुख हथियारों के निर्यात में 44 फीसदी की वृद्धि की​ है जबकि जर्मनी ने अप​ना निर्यात 21 फीसदी ​तक बढ़ाया है।

हालांकि इजरायल और दक्षिण कोरिया ने ​भी ​अपने निर्यात में काफी वृद्धि की है, ​लेकिन अभी भी यह ​दोनों ​देश ​हथिया​र बेचने के मामले में ​अमेरिका और फ्रांस के मुकाबले छोटे खिलाड़ी बने हुए हैं।

अब सवाल उठता है कि आखिर ​​अमेरिका​ के साथ ही फ्रांस और जर्मनी ​का ​हथियार निर्यात कैसे बढ़ा तो इसका जवाब यह है कि मध्य पूर्व ​के देशों ने इन मुल्कों के हथियार व्यापारियों से ​सबसे बड़ी ​खरीद की है।​

दरअसल मध्य पूर्व ​ने ही सबसे तेजी से ​​हथियारों ​का बाजार बढ़ाया है ​जिसने ​​2011-15 की अवधि की तुलना में ​​2016-20 में 25 फीसदी अधिक ​हथियार खरीदे हैं​।​

इस मामले में सबसे बड़ी वृद्धि सऊदी अरब (61%), मिस्र (136%) और कतर (361%) से हुई​ है​।​

रिपोर्ट के मुताबिक एशिया और ओशिनिया प्रमुख हथियारों के लिए सबसे बड़ा आयात क्षेत्र था, जो वैश्विक​ स्तर पर ​42 फीसदी ​​हथियारों ​की खरीदारी करता था।​

इनमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, चीन, दक्षिण कोरिया और पाकिस्तान सबसे बड़े​ हथियार आयातक थे।

कोरोना महामारी के चलते हालांकि रूस और चीन के हथियारों के निर्यात में गिरावट देखी गई​ है लेकिन दोनों देश अफ्री​की देशों के प्रमुख आपूर्तिकर्ता बने रहे।​

​​रिपोर्ट के मुताबिक ​​2011-15 की अवधि की तुलना में 2016-20 में चीनी हथियारों का निर्यात 7.8 फीसदी तक ​गिरा है।

​दुनिया के पांचवें सबसे बड़े हथियार निर्यातक चीन ​का निर्यात ​गिर​ने की मुख्य वजह रिपोर्ट में यह बताई गई है कि ​चीनी हथियारों​ ​के पसंदीदा देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया​ ने इस दौरान हथियारों की खरीद में कम दिलचस्पी दिखाई है​​।​

भारत से गतिरोध बढ़ने के बाद चीन ने पाकिस्तान को जहाज, ड्रोन और पनडुब्बियां दी भी हैं तो उसे ‘गिफ्ट’ के तौर पर दिखाया है​।​​ ​

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