नई दिल्ली: सीपीएम नेता वृंदा करात ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में कोर्ट के आदेश के बावजूद बुल्डोजर के जरिए अतिक्रमण हटाने पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है।
बता दें कि जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच जहांगीरपुरी मामले की सुनवाई करेगी।
वृंदा करात का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए शुरू कर दिया गया। अतिक्रमण हटाने का नोटिस प्रभावित परिवारों को नहीं दिया गया।
याचिका में कहा गया है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
याचिका में कहा गया है कि जहांगीरपुरी इलाके में अधिकांश गरीब लोग रहते हैं। वहां मुस्लिमों की तादाद ज्यादा है।
अतिक्रमण हटाने के लिए गरीब लोगों को ही टारगेट किया गया। वृंदा करात ने याचिका में कहा है कि वो जहांगीरपुरी में 10 बजकर 45 मिनट पर पहुंची थीं।
वहां अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 12 बजकर 25 मिनट तक कार्रवाई की गई जो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
बता दें कि 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दिया था। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया था।
बुल्डोजर चलाकर अतिक्रमण की कार्रवाई का आदेश जारी किया था
20 अप्रैल को वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी।
उन्होंने कहा था कि जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया असंवैधानिक है। उन्होंने कहा था कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया दो बज दिन में शुरू होने वाली थी लेकिन ये सुबह नौ बजे ही शुरु हो गई।
उन्होंने कहा था कि इसके लिए औपचारिक याचिका दायर कर दी गई है। उसके बाद कोर्ट ने अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगाने और याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया।
बता दें कि पिछले 16 अप्रैल को जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। जिसमें बीस से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं।
अब नगर निगम ने अवैध निर्माण पर बुल्डोजर चलाकर अतिक्रमण की कार्रवाई का आदेश जारी किया था।