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Delhi University : कुलपति कार्यालय के बाहर छात्रों ने लगाई सड़क पे कक्षा

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दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय खोलने की मांग कर रहे छात्रों ने बुधवार को कुलपति कार्यालय के बाहर क्लास ऑन द रोड नाम से एक ऑफलाइन कक्षा शुरू की। इसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में छात्र एकत्र हुए।

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दिल्ली विश्वविद्यालय को फिर से खोलने के लिए सड़क पे कक्षा के माध्यम से कला संकाय के पास कुलपति कार्यालय के समक्ष एक ऑफलाइन कक्षा आयोजित की।

बड़ी संख्या में छात्र आंदोलन में भाग लेने और ऑफलाइन कक्षाओं को फिर से शुरू करने के लिए अपनी बढ़ती हताशा को प्रदर्शित करने के लिए एकत्र हुए।

इस दौरान प्रोफेसर आभा देव हबीब ने एकेडमिक काउंसिल की कार्यप्रणाली, और दिल्ली विश्वविद्यालय में शैक्षिक प्रणाली में आगामी परिवर्तन विषय पर बोलते हुए सभा को संबोधित किया।

प्रोफेसर आभा ने कहा कि अकादमिक परिषद की अलोकतांत्रिक प्रवृत्तियां देखने को मिली हैं। चार साल के स्नातक कार्यक्रम और सीयूसीईटी सहित डीयू में शुरू की जा रही कई नीतियां छात्र विरोधी है।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने विभिन्न हितधारकों की राय को समायोजित नहीं किया है और छात्र और शिक्षण समुदाय पर एक निरंकुश तरीके से अपने फैसले थोप रहे हैं।

नाराज छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में कैंपस को दोबारा खोलने की मांग को लेकर एक रैली भी निकाली।

यह रैली दिल्ली विश्वविद्यालय स्थित पटेल चेस्ट से शुरू हुई और बाद में पुलिस द्वारा इसे कला संकाय के समक्ष रोक दिया गया। रैली में बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे और कैंपस खोलने के नारों के साथ आगे बढ़ रहे थे।

छात्र संगठन से जुड़ी एक छात्रा श्रेया ने कहा की लगातार गिरते कोरोना के मामलों और डीडीएमए द्वारा स्कूल, कॉलेजों को खोलने के निर्देश के बावजूद दिल्ली विश्वविद्यालयको बंद रखा गया है।

डीयू एक प्रतिष्ठित केंद्रीय विद्यालय है, यहां देश भर से बड़ी संख्या में छात्र शिक्षा लेते हैं पिछले 2 सालों से देश में फैले कोरोना महामारी के चलते छात्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

छात्रों ने कहा की जहां आज एक तरफ तमाम तरह की पाबंदियों को खत्म कर दफ्तर, सार्वजनिक परिवहन, शॉपिंग कंपलेक्स, मॉल इत्यादि को खोल दिया गया है, ऐसे में अभी तक शिक्षण संस्थानों को बंद रखा गया।

असल में सरकार की यह मंशा है कि छात्रों को जितना क्लासरूम व कैंपस से दूर रखा जाएगा उतना ही सरकार को छात्र विरोधी नीतियों को लागू करने में आसानी होगी।

एसएफआई का कहना है कि सरकार नई शिक्षा नीति के अनुरूप ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए इस तरह का काम कर रही है।

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