टेक्नोलॉजी

दिल्ली हाई कोर्ट ने Facebook की प्राइवेसी पॉलिसी पर जताई चिंता

सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से यूजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरूरतः हाई कोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने फेसबुक (मेटा) की प्राइवेसी पॉलिसी पर चिंता जताते हुए कहा है कि सोशल मीडिया कंपनियों की ओर से यूजर की निजी जानकारी शेयर करने के मामले की पड़ताल की जरूरत है।

जस्टिस राजीव शकधर की अधयक्षता वाली बेंच ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि लोग अपनी प्राइवेसी को लेकर चिंतित हैं और अधिकतर तो ये तक नहीं जानते की उनका डाटा सोशल मीडिया दिग्गजों की ओर से तीसरे पक्ष को शेयर किया जा रहा है।

कोर्ट ने कैंब्रिज एनालाइटिका का उदाहरण देते हुए यूजर्स के डाटा शेयर करने पर चिंता जताई। कैंब्रिज एनालाइटिका ब्रिटेन की राजनीतिक सलाह देने वाली कंपनी है।

2016 में ब्रेक्जिट रायशुमारी के समय इसका उपयोग वोटर्स को प्रभावित करने के लिए किया गया था। इसके अलावा इसका उपयोग 2016 में अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव प्रचार के लिए किया गया था। इस कंपनी पर आरोप है कि इसने फेसबुक से लाखों-करोड़ों यूजर्स का डाटा एकत्र कर वोटर्स को प्रभावित करने का काम किया।

केंद्र सरकार ने हलफनामा के जरिये नई आईटी रूल्स का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा था कि आईटी रूल्स के रूल 4(2) के तहत ट्रेसेबिलिटी का प्रावधान वैधानिक है।

केंद्र सरकार ने कहा था कि वो चाहती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स यूजर की प्राइवेसी और एंक्रिप्शन की सुरक्षा करें।

केंद्र सरकार ने कहा कि रूल 4(2) यूजर की प्राइवेसी को प्रभावित नहीं करता है। लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है।

केंद्र सरकार ने सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए इन आईटी रूल्स को लागू किया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि आईटी रूल्स को चुनौती देने वाले व्हाट्स ऐप और फेसबुक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

केंद्र ने कहा कि व्हाट्स ऐप और फेसबुक दोनों विदेशी कंपनियां हैं और इसलिए उन्हें संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 का लाभ नहीं दिया जा सकता है।

27 अगस्त, 2021 को हाई कोर्ट ने व्हाट्स ऐप और फेसबुक की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

फेसबुक की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने आईटी रूल्स में ट्रेसेबिलिटी के प्रावधान का विरोध करते हुए कहा था कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

नौ जुलाई, 2021 को व्हाट्स ऐप ने कोर्ट को बताया था कि वो अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी को फिलहाल स्थगित रखेगा। व्हाट्स ऐप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया था कि जब तक डाटा प्रोटेक्शन बिल नहीं आ जाता तब तक उसकी नई प्राइवेसी पॉलिसी लागू नहीं की जाएगी।

22 अप्रैल, 2021 को जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने व्हाट्स ऐप और फेसबुक की याचिका खारिज कर दी थी। इस आदेश को दोनों कंपनियों ने डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी है।

सिंगल बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान व्हाट्स ऐप की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि व्हाट्स ऐप की प्राइवेसी पॉलिसी पर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को आदेश देने का क्षेत्राधिकार नहीं है।

इस मामले पर सरकार को फैसला लेना है। उन्होंने कहा था कि व्हाट्स ऐप की नई पॉलिसी यूजर्स को ज्यादा पारदर्शिता उपलब्ध कराना है।

प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने कहा था कि ये मामला केवल प्राइवेसी तक ही सीमित नहीं है बल्कि ये डाटा तक पहुंच का है। प्रतिस्पर्द्धा आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार के तहत आदेश दिया है।

उन्होंने कहा था कि भले ही व्हाट्स ऐप की इस नीति को प्राइवेसी पॉलिसी कहा गया है लेकिन इसे मार्केट में अपनी उपस्थिति का बेजा फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है।

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