नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने बाबा रामदेव की कोरोनिल दवाई को लेकर कथित झूठे दावे पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने बाबा रामदेव को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2022 में होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाबा रामदेव की ओर से पेश वकील राजीव नय्यर ने कहा कि आपके मुवक्किल ने एलोपैथी और अस्पतालों का मजाक उड़ाया। कोर्ट ने कहा कि याचिका निश्चित रूप से सुनवाई योग्य है।
कोर्ट ने नय्यर से कहा कि आप आरोपों से इनकार कर रहे हैं, आप जवाब दाखिल कीजिए। तब नय्यर ने कहा कि केस की मेरिट पर कोई राय मत बनाइए क्योंकि मीडिया में इसकी बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग हो रही है।
कोर्ट ने केवल नोटिस जारी करने पर दलीलें सुनी है। कोर्ट ने 25 अक्टूबर को कहा था कि लाभ कमाना न तो अनुचित है और न गैरकानूनी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील अखिल सिब्बल ने कहा था कि बाबा रामदेव ने अपने व्यावसायिक फायदे के लिए कोरोनिल टैबलेट के बारे में प्रचार किया कि वो कोरोना की दवाई है।
तब कोर्ट ने कहा था कि आप व्यावसायिक लाभ में मत जाइए। हर व्यक्ति लाभ कमाता है। आप यह बताइए कि गलत कहां हुआ है। व्यावसायिक लाभ कमाना न तो अनुचित है और न ही गैरकानूनी। त
ब अखिल सिब्बल ने कहा था कि व्यवसाय करने से कोई मना नहीं कर रहा है। लेकिन वो कह रहे हैं कि एलोपैथी आपको मार रहा है और उसका इलाज हमारे पास है। वो कहते हैं कि हमने 90 फीसदी लोगों को ठीक किया है।
एलोपैथ से महज दस फीसदी लोग ठीक हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी कहा था कि बाबा रामदेव ऐसा बयान सार्वजनिक रूप से नहीं दे सकते हैं कि कोरोनिल को कोरोना की दवा के रूप में लाइसेंस मिला है।
अपनी दलील के पक्ष में सिब्बल ने 12 जून 2020 का दिव्य फार्मेसी का एक दस्तावेज उद्धृत किया जिसमें कोरोनिल टेबलेट समेत तीन चीजों के बार में जानकारी दी गई है।
हाईकोर्ट ने 28 सितंबर को कहा था कि बाबा रामदेव ने सरकार की कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा दिया। कोर्ट ने कहा था कि रामदेव ने कोरोनिल का प्रचार जरूर किया लेकिन किसी को कोरोना की वैक्सीन अभियान से रोकने की कोशिश नहीं की।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अखिल सिब्बल से कहा था कि बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर जो बयान दिया ये उनका मत हो सकता है। आप उसका पालन करें या नहीं ये आप पर निर्भर करता है।
रामदेव ने ये कहा है कि आप उनकी दवाई लीजिएगा तो आपका ऑक्सीजन लेवल ठीक होगा। कोर्ट ने कहा था कि बाबा रामदेव ने किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया है।
याचिका में कहा गया है कि बाबा रामदेव ने सार्वजनिक रूप से डॉक्टरों के अलावा विज्ञान को चुनौती दी है। उनके बयान से लोगों का नुकसान हो रहा है। वे मेडिकल साइंस को चुनौती दे रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि कि बाबा रामदेव काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उनकी काफी लोगों तक पहुंच है। उनके बयान अपने प्रशंसकों को प्रभावित करते हैं।
उल्लेखनीय है कि बाबा रामदेव और एलोपैथी डॉक्टरों की संस्था आईएमए के बीच विवाद चल रहा है। बाबा रामदेव ने एलोपैथी को लेकर विवादास्पद बयान किया था, जिसके बाद आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर बाबा के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी बाबा रामदेव को अपना बयान वापस लेने को कहा था। आईएमए ने बाबा रामदेव के खिलाफ लीगल नोटिस भी भेजा था।
पिछले 1 जून को देश भर के एलोपैथी डॉक्टरों ने बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर काली पट्टी बांधकर काम किया था।