Saturday, May 24, 2025
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Delhi University कैंपस से हटाई गई अंबेडकर की मूर्ति दोबारा लगाए जाने की मांग

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नई दिल्ली: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस (Forum of Academics for Social Justice) ने दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह को एक प्रस्ताव भेजकर मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में 26 नवम्बर को भारतीय संविधान दिवस (Indian Constitution Day) मनाया जाए।

दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने डॉ.भीमराव अंबेडकर (Dr.Bhimrao Ambedkar) की प्रतिमा लगाने की भी मांग की है। शिक्षकों का कहना है कि डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा लगने से विश्वविद्यालय में उनके संघर्ष और विचारों से लाखों छात्र परिचित हो सकेंगे।

कैम्पस बनाने के कारण डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को हटा दिया गया

फोरम ने यह भी मांग की है कि नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत स्नातक (Graduate) व स्नातकोत्तर स्तर (Postgraduate Level) के पाठ्यक्रमों में भी अनिवार्य हिस्सा बनाया जाना चाहिए। फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह को बताया है कि एक दशक पूर्व उत्तरी परिसर के छात्र संघ परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित थी।

छात्र संघ (Student Union) की बिल्डिंग (Building) को तोड़कर वहां कैम्पस बनाने के कारण उनकी प्रतिमा (Statue) को हटा दिया गया। डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा को हटाए जाने पर फोरम व अन्य संगठनों ने अपना विरोध प्रकट किया था।

हालांकि तब दिल्ली विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति ने कैम्पस या कुलपति के सामने वाले गार्डन में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक उक्त स्थान पर प्रतिमा नहीं लग सकी।

आप अपनी इस मांग को दोहराते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों (Teachers) का कहना है कि कुलपति 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाने के साथ साथ डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा लगाने का आश्वासन देते है तो विश्वविद्यालय में एक अच्छा संदेश जाएगा।

युवा पीढ़ी को डॉ. भीमराव अंबेडकर के बहुमूल्य विचारों से अवगत होना चाहिए

डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि उनके द्वारा दिए गए प्रस्ताव को केंद्र सरकार (Central Government) की नई शिक्षा नीति 2020 के आलोक में देखा जाना चाहिए।

छात्रों (Students) के बीच मूल्यों को विकसित करने और एक राष्ट्र के नागरिकों (Citizens of the Nation) के बीच समानता लाने में बाबा साहेब के योगदान की स्मृति को केंद्र में रखकर उनके द्वारा लिखे गए संविधान (Constitution) में कानून, सुरक्षा, समानता व बंधुत्व के अवसर पर दिए गए प्रावधानों को विशेष शैक्षणिक महत्व देना चाहिए।

इसके अलावा गांधी भवन (Gandhi Bhawan) की तर्ज पर डॉ. अम्बेडकर अध्ययन केंद्र खोला जाना चाहिए ताकि आज की युवा पीढ़ी उनके बहुमूल्य विचारों से अवगत हो सके।

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