कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने भले ही बड़ी उम्मीदों के साथ बंगाल वैश्विक व्यापार सम्मेलन का आयोजन किया लेकिन सम्मेलन के शुभारंभ सत्र के दौरान ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री की बयानबाजी ने पूरा समा बदल दिया। अर्थशास्त्रियों की राय में इस घटना से निवेशकों के बीच राज्य की छवि खराब हुई है।
दरअसल राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सम्मेलन के मंच से कहा था कि राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिये केंद्र और राज्य सरकार के बीच अच्छे संबंध होने तथा राज्य में कानून व्यवस्था स्थिति बेहतर होने की जरूरत होती है। राज्यपाल के भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंच पर ही मौजूद थीं।
ममता बनर्जी निवेश सम्मेलन होने के बावजूद राज्यपाल की टिप्पणी का जवाब देने से बाज नहीं आईं और उन्होंने कहा कि राज्यपाल को यह मामला केंद्र सरकार के पास लेकर जाना चाहिये कि उद्योगपतियों को केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरिये तंग न किया जाये।
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच हुई इस नोंकझोंक को लेकर आईएएनएस ने अर्थशास्त्रियों, उद्योग और वित्तीय विश्लेषकों से उनकी राय जाननी चाही।
उद्योगपतियों या किसी को भी बिना किसी कारण केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा परेशान नहीं किया जाना चाहिये
अधिकतर का कहना था कि राज्यपाल की बात पर एक बिजनेस समिट के मंच से ममता का पलटवार करना अपेक्षित नहीं था, क्योंकि उस वक्त वहां देश-विदेश के कई निवेशक मौजूद थे। इस घटना से राज्य की छवि प्रभावित हुई है।
कुछ लोगों का लेकिन यह भी मानना है कि राज्य की छवि पहले से ही खराब है, ऐसे में मुख्यमंत्री की बयानबाजी कोई अधिक नुकसान नहीं पहुंचाने वाली है।
केंद्र सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार अशोक कुमार लाहिड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री का ऐसा करना सही नहीं था। यह उस तरह की टिप्पणी करने का मंच नहीं था।
यह राज्य के लिये निवेश आकर्षित करने के उनके प्रयास के लिये सही नहीं है। इससे राज्य और उन्हें खुद बड़ा नुकसान होगा।
अर्थशास्त्र के प्रसिद्ध प्रोफेसर शांतनु बासु ने कहा कि यह मुख्यमंत्री की आदत सी बन गयी है कि वह किसी भी मंच से राजनीतिक मुद्दे उठाती हैं।
राज्यपाल का भाषण शायद उनके लिये ट्रिगर प्वांइट जैसा था, जिसके कारण उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसी वाली बात कह दी।
प्रसिद्ध आर्थिक स्तंभकार आर एन सिन्हा ने कहा कि ममता बनर्जी का अपने भाषणों या टिप्पणियों में किसी प्रकार का संयम न रखना इतनी चर्चा में रहा है कि इससे और अधिक नुकसान नहीं होगा।
सिन्हा ने कहा कि पिछले कई सालों में उनकी इस आदत के कारण जितना नुकसान हो चुका है, इस नयी घटना से उस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मेरी राय में उन्होंने हल्के अंदाज में जांच एजेंसी की बात की थी लेकिन इससे उन्होंने गलत संकेत दे दिया।
सिन्हा का कहना है कि ममता बनर्जी ने गलत संकेत दिया क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी को किसी के भी खिलाफ चाहे वह उद्योगपति ही क्यों न हो, अगर गलत तरीके से काम करता है, तो जांच शुरू करने का अधिकार है।
मुख्यमंत्री को कम से कम राजनीतिक रूप से सही रहना चाहिये और कहना चाहिये था कि उद्योगपतियों या किसी को भी बिना किसी कारण केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा परेशान नहीं किया जाना चाहिये।
पहले से ही सब राज्य की मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं
कोलकाता की एक रियल एस्टेट फर्म के संस्थापक, जो इस घटना के वक्त सम्मेलन में मौजूद थे, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने भाषण की शुरूआत शानदार और सकारात्मक तरीके से की थी लेकिन उन्हें अपने पूरे भाषण के दौरान सकारात्मकता बनायी रखनी चाहिये थी।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि मुख्यमंत्री का बयान बिल्कुल अनपेक्षित था। मेरी राय में अपनी पार्टी के नेताओं और अपने परिवार के लोग के खिलाफ जारी केंद्रीय जांच एजेंसी की जांच की बात उनकी इस टिप्पणी के जरिये निकली।
उनकी टिप्पणियां निवेशकों को चिंतित करने के लिये काफी हैं। पहले से ही सब राज्य की मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंतित हैं।
इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ सांसदों से भी उनकी रायजानने की कोशिश की है तो उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया।