Sawan Special : हर साल श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं अपने पति के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं जिसे हरियाली तीज कहा जाता है।
इसे छोटी तीज या मधुश्रवा तृतीया के नाम से भी संबोधित किया जाता है। वैसे तो साल में तीन बार मनाया जाता है ये तीज का त्योहार। जिसे हरियाली तीज, कजरी तीज, हरतालिका तीज कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज (Hariyali Teej) के दिन माता पार्वती और भगवान शंकर का मिलन हुआ था। इसलिए यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करती हैं।
हरियाली तीज पूजा विधि
इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठें और सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाएं और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की भी मूर्ति बनाएं।
इस बात का ध्यान रखें कि प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें।
साथ ही उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये मंत्र का जाप भी करें।
इसके बाद माता को श्रृंगार का समाना अर्पित करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती का आवाह्न करें।
माता पार्वती, शिव जी और गणेश जी की पूजा करें. शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें।
माता पार्वती की पूजा के बाद सास को सुहाग की थाली दें। अगर सास नहीं हैं तो घर की किसी भी महिला को आप ये दे सकती हैं।
माता पार्वती की आराधना के मंत्र
माता पार्वती की आराधना करते समय इस मंत्र का जाप करें –
ऊं उमायै नम:
ऊं पार्वत्यै नम:
ऊं जगद्धात्र्यै नम:
ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
ऊं शिवायै नम:
भगवान शिव की आराधना के मंत्र
भगवान शिव की आराधना करते समय इस मंत्र का जाप करें –
ऊं हराय नम:
ऊं महेश्वराय नम:
ऊं शम्भवे नम:
ऊं शूलपाणये नम:
ऊं पिनाकवृषे नम:
ऊं शिवाय नम:
ऊं पशुपतये नम:
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