नई दिल्ली: शेयर बाजार (Share Market) में निवेश या ट्रेडिंग (Investing or Trading) करते हैं तो 30 सितंबर से पहले डीमैट अकाउंट (Demat Account) में लॉग इन के लिए OTP टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (Two-Factor Authentication) जरूर करे अन्यथा ऐसा नहीं होने पर आप ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (Trading Platform) का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने जून में इस बारे में सर्कुलर जारी किया था। इसके अनुसार मेंबर्स को अपने डीमैट अकाउंट (Demat Account) में लॉगिन करने के लिए एक ऑथेंटिकेशन फैक्टर (Authentication Factor) के तौर पर बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन (Biometric Authentication) का उपयोग करना होगा।
वहीं दूसरा ऑथेंटिकेशन नॉलेज फैक्टर हो सकता है। बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन में फिंगरप्रिंट स्कैनिंग (fingerprint scanning), चेहरे की पहचान या आवाज की पहचान का उपयोग किया जाता है।
जबकि नॉलेज फैक्टर (knowledge factor) में पासवर्ड (Password), पिन (Pin) या कोई पजेशन फैक्टर (Possession Factor) हो सकता है जिनकी जानकारी सिर्फ यूजर को होती है।
30 सितंबर से टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को जरूरी बना दिया गया
क्लाइंट्स को SMS और E-Mail दोनों के जरिए OTP हासिल करना होगा। NSE ने अपने सर्कुलर में कहा है कि अगर किसी वजह से बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन संभव न हो तो यूजर्स को नॉलेज फैक्टर का इस्तेमाल करना होगा। जिसमें पासवर्ड/पिन, पजेशन फैक्टर और User ID हो सकता है।
इसका इस्तेमाल टू-फेस ऑथेंटिकेशन (Two-Face Authentication) के तौर पर करना चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर स्टॉक ब्रोकर्स सेकेंड ऑथेंटिकेशन फैक्टर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसमें पासवर्ड शामिल नहीं है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने इस बारे में सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के 2018 के सर्कुलर का हवाला दिया है।
दरअसल साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security) से जुड़े इस सर्कुलर में ऑथेंटिकेशन फैक्टर्स (Authentication Factor) के बारे में इस तरह का अंतर बताया है।
इसलिए NSE ने लॉग इन के लिए 30 सितंबर से टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (Two-factor authentication) को जरूरी बना दिया गया है। सभी स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) ने इस बारे में अपने क्लाइंट्स को सूचना देना शुरू कर दी है।