नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति पद के लिये विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) ने मंगलवार को कहा कि उन्हें चुनावों से डर नहीं लगता, क्योंकि हार और जीत जिंदगी का हिस्सा हैं लेकिन सभी दलों के सांसदों का भरोसा उन्हें लोगों को साथ लेकर आने व एक मजबूत तथा एकजुट भारत बनाने में मदद करेगा।
छह अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिये अपना नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद एक बयान में उन्होंने कहा कि इस पद के लिये उनकी उम्मीदवारी को समर्थन देने के वास्ते विपक्ष का साथ आना “उस वास्तविकता का रूपक है, जो भारत है।”
उन्होंने कहा, “हम इस महान देश के विभिन्न कोनों से आते हैं, अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं, विभिन्न धर्मों व रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। विविधता में एकता हमारी शक्ति है।”
जीत और हार जीवन का एक हिस्सा है : कांग्रेस नेता
अल्वा ने कहा, “जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है, उसके लिए हम लड़ते हैं: लोकतंत्र के स्तंभों को बनाए रखने के लिए, हमारी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए, और एक ऐसे भारत के लिए जो ‘सारे जहां से अच्छा’ है, जो हम में से हर किसी का है। एक ऐसा भारत, जहां सबके लिये सम्मान हो।”
अल्वा (80) ने कहा कि भारत गणराज्य के उपराष्ट्रपति पद (Vice President) के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में नामित होना सम्मान की बात है।
कांग्रेस नेता ने कहा, “मैंने अपना जीवन ईमानदारी और साहस के साथ अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हुए बिताया है। चुनाव से मुझे डर नहीं लगता – जीत और हार जीवन का एक हिस्सा है।”
उन्होंने कहा, “हालांकि, यह मेरा विश्वास है कि मैंने संसद के दोनों सदनों में सभी दलों के सदस्यों की जो सद्भावना, विश्वास और स्नेह, अर्जित किया है, उसके कारण मुझे समर्थन मिलेगा और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में मेरा मार्गदर्शन करना जारी रखेंगे, जो लोगों को एक साथ लाने, साझा समाधान तलाशने और एक मजबूत व एकजुट भारत के लिए काम करता है।”
मार्गरेट अल्वा ने कहा…
मार्गरेट अल्वा (Margaret Alva) ने कहा कि वह इस नामांकन को बड़ी विनम्रता के साथ स्वीकार करती हैं और उनपर भरोसा जताने के लिये विपक्ष के नेताओं को धन्यवाद देती हैं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में उन्होंने देश के लिए ईमानदारी, साहस और प्रतिबद्धता के साथ काम किया है और ‘‘मेरा एकमात्र दायित्व: बिना किसी डर के, भारत के संविधान की सेवा करना’’ है।
मंगलूरु में 1942 में पास्कल और एलिजाबेथ नाज़रेथ के घर जन्मी मार्गरेट अल्वा ने मंगलूरु, कोयम्बटूर और बेंगलुरू में शिक्षा प्राप्त की और माउंट कार्मेल कॉलेज से बीए और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से विधि की डिग्री हासिल की। बाद में उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
उन्होंने 1964 में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी जाओचिम व वॉयलेट अल्वा (Eminent freedom fighters Jaochim and Violet Alva) के सबसे बड़े बेटे निरंजन अल्वा से शादी की। उनके चार बच्चे हैं।
अल्वा पहली बार 1974 में संसद के लिये निर्वाचित हुईं और लगातार चार बार राज्यसभा की सदस्य रहीं। बाद में उन्होंने लोकसभा में भी कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने सांसद के तौर पर अपने 30 वर्षों के कार्यकाल के दौरान दोनों सदनों की कई अहम व प्रतिष्ठित समितियों की अध्यक्षता भी की।
वह राजीव गांधी व पी वी नरसिंह राव (Rajiv Gandhi and PV Narasimha Rao) की सरकार में 10 वर्षों तक केंद्रीय मंत्री भी रहीं हैं।