वॉशिंगटन: दुनिया के अंटार्कटिका के ‘डूम्सडे ग्लेशियर’ (Doomsday Glacier) के गलने से समुद्र स्तर में बड़ी वृद्धि देखने को मिल सकती है।
इसका असल नाम थ्वाइट्स ग्लेशियर है। अब वैज्ञानिकों को चिंता है कि इसके गलने की रफ्तार अनुमान से तेज हो सकती है, जिससे समुद्र स्तर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
इस ग्लेशियर का नाम इसके तेजी से गलने के कारण दिया गया है, जिसका मतलब प्रलय से है। अंटार्कटिका का थ्वाइट्स ग्लेशियर (Doomsday Glacier) समुद्र स्तर को कई फीट तक बढ़ाने में सक्षम है।
ग्लेशियर के और भी तेजी से गलने की भविष्य में संभावना है
इसका आकार ब्रिटेन के बराबर है। ऐसी चिंताओं के बीच धरती के बढ़ते तापमान से ये ग्लेशियर समुद्र (Glacier Sea) के नीचे से लेकर ऊपर तक गल रहा है।
एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने ग्लेशियर की ऐतिहासिक मैपिंग की है, ताकि ये पता किया जा सके कि ग्लेशियर का हाल भविष्य में कैसा होगा। इसमें उन्होंने पाया कि दो सदियों में ग्लेशियर का आधार समुद्र से अलग हो गया।
तब से हर साल ये 2.1KM की दर से गल रहा है। ये पिछले एक दशक में वैज्ञानिकों की देखी गई दर से दोगुना है। इस शोध के प्रमुख लेखक ओर साउथ फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के समुद्री Geophysicist Alistair Graham में कहा कि 20वीं शताब्दी के मध्य में ये ग्लेशियर तेजी से खत्म हुआ। लेकिन इस ग्लेशियर के और भी तेजी से गलने की भविष्य में संभावना है।
इसका प्रभाव अगले साल ही दिख सकता है
अगर ये ग्लेशियर पूरा गल जाता है तो एक अनुमान के मुताबिक समुद्र स्तर में तीन फीट तक की बढ़ोतरी संभव है। इसके कारण तटीय इलाकों से जुड़े देशों को बड़ा नुकसान होगा।
नुकसान की अगर बात करें तो इसे ऐसे समझा जा सकता है कि पिछले तीन दशक में एक फुट से भी कम समुद्र स्तर बढ़ा है और दुनिया के कई इलाकों में इस परिवर्तन से भारी बाढ़ दिखी है।
अगर ये ग्लेशियर पूरी तरह गल गया तो हमें समुद्री सीमा फिर से खींचनी पड़ सकती है। समुद्री भूभौतिकीविद् और ब्रिटिश अंटार्कटिका सर्वेक्षण के अध्ययन के सह लेखक रॉबर्ट लार्टर ने कहा कि Thwaites Glacier Truth में चिंता बढ़ाने वाला है और आने वाले भविष्य में छोटे समय में बड़े पैमाने पर बदलाव दिख सकते हैं। इसका प्रभाव अगले साल ही दिख सकता है।