ECI ने स्पष्ट किया, मतदाता सूची से आधार संख्या जोड़ना अनिवार्य नहीं, सुप्रीम कोर्ट में…

इसमें दावा किया गया कि "जमीनी स्तर के अधिकारी मतदाताओं को अपने आधार नंबर जमा करने के लिए मजबूर कर रहे हैं और मतदाताओं को धमकी दे रहे हैं कि यदि aadhaar card number  प्रदान नहीं किया गया तो मतदाता वोट खो देंगे

Newswrap

नई दिल्ली : Election Commission ने सुप्रीम कोर्ट (supreme court) को बताया है कि मतदाता पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के तहत आधार संख्या को मतदाता सूची से जोड़ना अनिवार्य नहीं है।

प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा सूचित किया गया था कि मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में 66 करोड़ से अधिक आधार नंबर पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं।

इसके अलावा, चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि वह “फॉर्म में स्पष्टीकरण परिवर्तन” जारी करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि 2022 के नियम 26-Bके तहत आधार संख्या जमा करना अनिवार्य नहीं है।

संशोधन करने का निर्देश देने की मांग

कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जी. निरंजन ने एक याचिका दायर कर चुनाव आयोग को फॉर्म-6 (नए मतदाताओं के लिए आवेदन पत्र) और form-6बी (चुनावी उद्देश्यों के लिए आधार संख्या की जानकारी का पत्र) में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की थी।

इसमें कहा गया है कि मौजूदा फॉर्म मतदाता को आधार प्रदान करने के लिए मजबूर करते हैं, हालांकि चुनाव आयोग का दावा है कि आधार विवरण जमा करना स्वैच्छिक है।

Article 32 के तहत दायर रिट याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग अपने अधिकारियों पर मतदाताओं की आधार संख्या एकत्र करने के लिए जोर दे रहा है और राज्य अधिकारी गांव और बूथ स्तर के अधिकारियों पर मतदाताओं से आधार संख्या एकत्र करने के लिए दबाव डाल रहे हैं।

इसमें दावा किया गया कि…

इसमें दावा किया गया कि “जमीनी स्तर के अधिकारी मतदाताओं को अपने आधार नंबर जमा करने के लिए मजबूर कर रहे हैं और मतदाताओं को धमकी दे रहे हैं कि यदि aadhaar card number  प्रदान नहीं किया गया तो मतदाता वोट खो देंगे।”