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यूरोपीय संघ और भारत विभिन्न मामलों पर साझा दृष्टिकोण रखते हैं : राष्ट्रपति कोविंद

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नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि भारत और यूरोपीय संघ कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर एक साझा दृष्टिकोण साझा करते हैं, जिसमें सुधार और प्रभावी बहुपक्षवाद पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की साझा प्रतिबद्धता भी शामिल है।

यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उसुर्ला वॉन डेर लेयन ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की।

भारत में यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष का स्वागत करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ दो सबसे जीवंत लोकतंत्र हैं, दो सबसे बड़ी मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्थाएं व बहुलतावादी समाज हैं।

उन्होंने कहा, भारत और यूरोपीय संघ सुधार एवं प्रभावी बहुपक्षवाद पर आधारित एक अंतरराष्ट्रीय नियम के अनुरूप चलने वाली व्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रति साझी वचनबद्धता समेत विभिन्न क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर एक साझा दृष्टिकोण रखते हैं।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, भारत और यूरोपीय संघ के बीच की रणनीतिक साझेदारी आने वाले दशक के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है तथा इस संबंध को मजबूत करना यूरोपीय संघ की तरह ही भारत की भी प्राथमिकता है। जलवायु संबंधी कार्रवाई, स्वच्छ ऊर्जा, सतत विकास, डिजिटल रूपांतरण और अनुसंधान व नवाचार जैसे क्षेत्रों में भारत की उच्च महत्वाकांक्षा को पूरा करने में यूरोपीय संघ एक महत्वपूर्ण साझीदार रहेगा।

हिंद-प्रशांत महासागर से संबंधित पहल में शामिल होने की आशा करते हैं

भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक एवं निवेश संबंधों के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि यूरोपीय संघ विभिन्न वस्तुओं के मामले में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है।

उन्होंने कहा कि भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता भारत और यूरोपीय संघ के बीच के आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता को सामने लाएगा।

उन्होंने जोर देकर कहा कि मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत और यूरोपीय संघ जैसे समान विचारधारा वाले देशों के लिए अपने आर्थिक जुड़ाव को और अधिक गहरा करना आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अपने पारस्परिक आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के अलावा, भारत और यूरोपीय संघ के लिए हिंद-प्रशांत जैसे क्षेत्र से संबंधित रणनीतिक एवं भू-राजनीतिक पहल में शामिल होना महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति ने कहा, हम यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों के हिंद-प्रशांत महासागर से संबंधित पहल में शामिल होने की आशा करते हैं।

भारत का मानना है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक रणनीतिक यूरोपीय संघ इस क्षेत्र की स्थिरता में योगदान देगा।

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