अमरावती (आंध्र प्रदेश): पश्चिम गोदावरी जिले के एलुरु में फैली अज्ञात बीमारी थमने का नाम नहीं ले रही है। आज यहां और 8 नए मामले सामने आये हैं।
शहर के तांगेलमुडी, ईस्ट स्ट्रीट, वेस्ट स्ट्रीट और शंकरमथम क्षेत्रों के लोग इस बीमारी की चपेट में आये हैं जिनको अस्पतालों में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों का कहना है सभी का स्वास्थ्य स्थिर है।
पीड़ित के परिजनों का कहना है कि इस अजीब बीमारी से लोग अचानक बेहोश हो जाते हैं।
वहीं एक अन्य एनआईएन की प्राथमिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनाकाल में अत्यधिक मात्रा में ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग किया गया था जो बारिश के पानी के साथ पास के तालाब में चला गया जहां से जलापूर्ति की जाती है।
हालांकि इस रिपोर्ट की पुष्टि नहीं हुई है।
उधर, इस अज्ञात बीमारी को लेकर आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज की रिपोर्ट में एक नई बात समाने आई है। पहले से ही दो बार एकत्र किए गए नमूनों में निकेल और सीसा धातु पाए गए।
वहीं अब तीसरी बार 30 लोगों का नमूना एकत्र किया गया। शरीर में निकेल और लेड धातुएं कैसे मिली? इस पर हैदराबाद की नेशनल इंस्टीट्यूट आफ न्यूट्रिशन के विशेषज्ञ खोजने में जुटे हैं।
विशेषज्ञों की पहली रिपोर्ट में शरीर में निकल और शीशा दूध या पानी के जरिए पहुंचने का अनुमान था।
एनआईएन और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंसेज के विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री को बताया कि आगामी शुक्रवार तक प्राथमिक जांच रिपोर्ट देने का प्रयास करेंगे।
दौरा कर रहे केंद्रीय विशेषज्ञ चिकित्सकों के दल से मुख्यमंत्री स्वयं बातचीत की।अब तक 625 लोग अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। इनमें से लगभग 565 लोग स्वस्थ्य हो कर घर लौट चुके हैं।
जबकि 32 रोगियों को बेहतर चिकित्सा के लिए विजयवाड़ा तथा गुंटुर में भर्ती कराया गया है।
उधर राज्य के विपक्षीय दल के नेता चंद्रबाबू नायडू स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित करने की मांग की है।
नायडू ने आरोप लगाया कि ब्लीचिंग पाऊडर की आपूर्ति में जगनमोहन रेड्डी के एक रिश्तेदार ने भ्रष्टाचार किया है। संभवत इसी कारण वे यह रोग फैला है।
वहीं नायडू के इस आरोप को खारिज करते हुए स्वास्थ्य मंत्री नानी ने कहा कि रोग के कारणों का पता लगाने का कार्य केंद्रीय दल कर रही है। अब तक ब्लीचिंग पाउडर इस बीमारी का कारण होने की पुष्टि हो नहीं पाई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस अज्ञात बीमारी की चपटे में आये लोगों के बेहतर चिकित्सा करने के साथ-साथ चिकित्सक इस रोग के कारणों का भी पता लगाने की कोशिश कर रही है।
रोगियों को उच्च चिकित्सा सेवाएं देना राज्य सरकार प्राथमिकता होगी।