नई दिल्ली: ऐसे समय में जब चीजों की कीमतें पहले से ही आसमान पर हैं, केंद्र व राज्य सरकारें टैक्स (Tax) की दरों में कोई बदलाव कर नया रिस्क नहीं लेना चाहती हैं।
दरअसल पहले तो कोरोना महामारी ने दुनिया भर को प्रभावित किया। उसके बाद रूस और यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई ने हालात बदतर बना दिया।
इसके चलते अनाजों की कमी हो रही है और इनकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं। ये बाहरी फैक्टर चीजों की कमी और महंगाई को प्रभावित कर रहे हैं।
परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में प्रस्तावित बदलाव को फिलहाल के लिए टालने का फैसला लिया है। जीएसटी के बारे में अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल करती है।
हालांकि लंबे अंतराल से काउंसिल की बैठक नहीं हुई है। जीएसटी काउंसिल की आखिरी बैठक पिछले साल सितंबर में लखनऊ में हुई थी।
उन्होंने कहा कि जुलाई के तीसरे सप्ताह से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है और बैठक को इसके बाद के लिए टाला नहीं जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक जुलाई के तीसरे या चौथे सप्ताह में जीएसटी काउंसिल की बैठक की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि संसद सत्र से पहले भी जीएसटी काउंसिल की बैठक हो सकती है।
हालांकि इस बात की संभावना काफी कम हैं कि बड़ी संख्या में चीजों के ऊपर लेवी लगाई जाए, क्योंकि इस साल के अंत में गुजरात और हिमाचल भारत में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंची महंगाई की मार से सिर्फ आम लोग ही प्रभावित नहीं हो रहे हैं. अब महंगाई सरकार के फैसलों पर असर डालने लगी है और इसके कारण जीएसटी के स्लैब व दरों में बदलाव की योजना को बाद के लिए टाल दिया गया है।
अप्रैल 2022 में सरकार को सेंट्रल जीएसटी से 33,159 करोड़ रुपए प्राप्त हुए
सितंबर में हुई पिछली बैठक में काउंसिल ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के एक समूह को जीएसटी दरें तार्किक बनाने की संभावनाओं पर गौर करने का काम दिया था।
समूह को काम यह दिया गया था कि वे गुवाहाटी में नवंबर 2017 में हुई बैठक में कई कमॉडिटीज और सर्विसेज पर जीएसटी दरों में की गई कटौती की समीक्षा करें।
तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में हुई उस बैठक में 28 फीसदी के सबसे ऊंचे स्लैब में महज 50 सामान रखे गए थे।
उस बैठक में काउंसिल ने 178 सामानों पर टैक्स की दर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दी थी। इनके अलावा कई सामानों पर टैक्स की दर 5 फीसदी से घटाकर शून्य करने का भी फैसला लिया गया था।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के समय जीएसटी कलेक्शन में गिरावट आई थी, लेकिन अब यह सुधर चुका है।
अप्रैल 2022 में टोटल जीएसटी कलेक्शन 1,67,540 करोड़ रुपए रहा था। अप्रैल 2022 में सरकार को सेंट्रल जीएसटी से 33,159 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।
इसके अलावा सरकार को स्टेट जीएसटी से 41,973 करोड़ रुपये और इंटीग्रेटेड जीएसटी से 81,939 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
इंटीग्रेटेड जीएसटी में सामानों के आयात से प्राप्त 36,705 करोड़ रुपये का कलेक्शन भी शामिल है।
सरकार को सेस से 10,649 करोड़ रुपए प्राप्त हुए, जिसमें सामानों के आयात से मिले 857 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
इस तरह अप्रैल 2022 में करीब 1.68 लाख करोड़ रुपये के जीएसटी कलेक्शन का रिकॉर्ड बना।