लखनऊ: आईआरसीटीसी (IRCTC) की तरफ से अब प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि और माता सीता की जन्मस्थली जनकपुरी को जोड़ने के लिए गौरव ट्रेन चलने की कवायद शुरू की गई है।
इस ट्रेन का लाभ रामायण सर्किट से जुड़े लोगों को मिलेगा। इस ट्रेन का संचालन 21 जून से किया जा रहा है।
ऐसी उम्मीद की जा रही है की अयोध्या और जनकपुरी को एकसाथ जोड़ने का लाभ मिलेगा और जनकपुरी (नेपाल) जाने की इच्छा रखने वाले और जनकपुरी से अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिलेगा।
आईआरसीटीसी के मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि यह विशेष पर्यटक ट्रेन दिल्ली से 21 जून को शुरू होगी और पर्यटकों को प्रभु श्रीराम से जुड़े सभी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का भ्रमण व दर्शन कराएगी।
यह पर्यटक ट्रेन दोनों देशों की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को और मजबूती प्रदान करेगी।
उन्होंने बताया कि पूरी यात्रा में कुल 18 दिन लगेंगे। यात्रा का पहला पड़ाव प्रभु श्री राम का जन्म स्थान अयोध्या होगा, जहां श्री राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमान मंदिर व नंदीग्राम में भरत मंदिर का दर्शन कराया जाएगा।
जनकपुर से सीतामढ़ी ले जाकर दर्शन कराया जाएगा
आईआरसीटीसी ने इस 18 दिनों की यात्रा के लिए 62370 रुपए प्रति व्यक्ति का शुल्क निर्धारित किया है।
इस टूर पैकेज की कीमत में यात्रियों को रेल यात्रा के अतिरिक्त स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन, बस द्वारा पर्यटक स्थलों का भ्रमण, एसी होटलों में ठहरने की व्यवस्था, गाइड व इंश्योरेंस आदि कि सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
आईआरसीटीसी ने इस टूर की बुकिंग प्रक्रिया को सुगम बनाने व ग्राहकों के लिए इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए पेटीएम व रेजरपे जैसी पेमेंट गेटवे संस्थाओं से करार किया है।
जिससे टूर की राशि का भुगतान आसान किश्तों में भी किया जा सके। भुगतान के लिए कुल राशि को 3, 6, 9, 12, 18 व 24 महीनों की किश्तों में पूरा किया जा सकेगा। किश्तों में भुगतान की यह सुविधा डेबिट व क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बुकिंग करने पर उपलब्ध रहेगी।
सिन्हा ने बताया कि अयोध्या से रवाना होकर यह ट्रेन बक्सर जाएगी विश्वामित्र जी का आश्रम व रामरेखा घाट पर गंगा स्नान का कार्यक्रम होगा।
यहां जहां श्री जानकी जन्म स्थान का जयनगर होते हुए जनकपुर तक जाएगी, जहां रात्रि विश्राम होगा और राम जानकी मंदिर का दर्शन प्राप्त किया जा सकेगा।
सीसीटीवी कैमरे भी प्रत्येक कोच में उपलब्ध रहेंगे
जनकपुर से सीतामढ़ी ले जाकर दर्शन कराया जाएगा। ट्रेन का अगला पड़ाव भगवान शिव की नगरी काशी होगा जहां से पर्यटक बसों द्वारा काशी के प्रसिद्ध मंदिरों सहित सीता समाहित स्थल, प्रयाग, श्रृंगवेरपुर, व चित्रकूट की यात्रा करेंगे। इस दौरान काशी प्रयाग व चित्रकूट में रात्रि विश्राम होगा।
चित्रकूट से चलकर यह ट्रेन नासिक पहुंचेगी जहां पंचवटी व त्रयंबकेश्वर मंदिर का भ्रमण किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि नासिक के बाद प्राचीन किष्किंधा नगरी हंपी इस ट्रेन का अगला पड़ाव होगा, जहां अंजनी पर्वत स्थित श्री हनुमान जन्म स्थल व अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक व विरासत मंदिरों का दर्शन कराया जाएगा। हम्पी के बाद रामेश्वरम इस ट्रेन का अगला पड़ाव होगा।
रामेश्वरम में पर्यटकों को प्राचीन शिव मंदिर व धनुषकोडी का दर्शन लाभ प्राप्त होगा। रामेश्वरम से चलकर यह ट्रेन कांचीपुरम पहुंचेगी जहां शिव कांची, विष्णु कांची और कामाक्षी माता मंदिर का भ्रमण कराया जाएगा।
इस ट्रेन का अंतिम पड़ाव तेलंगाना राज्य में स्थित भद्राचलम होगा जिसे दक्षिण की अयोध्या के नाम से भी जाना जाता है। यह ट्रेन 18 वें दिन दिल्ली वापस पहुंचेगी। इस दौरान ट्रेन द्वारा लगभग 8000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की जाएगी।
मुख्य क्षेत्रीय प्रबंधक अजीत सिन्हा ने बताया कि वातानुकूलित पर्यटक ट्रेन में ऐसी तृतीय श्रेणी के 11 कोच होंगे साथ ही आधुनिक किचन कार से यात्रियों को उनकी बर्थ पर ही शाकाहारी स्वादिष्ट भोजन परोसा जाएगा।
ट्रेन में यात्रियों के मनोरंजन व यात्रा की जानकारी आदि प्रदान करने के लिए इन्फोटेन्मेंट सिस्टम भी लगाया गया है। स्वच्छ शौचालय के साथ ही सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड एवं सीसीटीवी कैमरे भी प्रत्येक कोच में उपलब्ध रहेंगे।