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देश में कॉल ड्राप की समस्या से ‎निपटने दूरसंचार कंपनियों पर सख्ती करेगी सरकार

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नई दिल्ली: देश में कॉल ड्रॉप (call Drop) की समस्या से निपटने के लिए सरकार दूरसंचार कंपनियों पर सख्ती बरतने की तैयारी कर रही है।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि कॉल ड्रॉप एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। सरकार इस समस्या को गंभीरता से ले रही है।

उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने के लिए सरकार की ओर से उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों पर विचार किया जाएगा।

इस बात पर भी विचार हो सकता है कि अगर दूरसंचार कंपनियां कॉल ड्रॉप की समस्या सुलझाने में विफल रहती हैं तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाए।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण लाइसेंस सेवा क्षेत्र के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के प्रदर्शन की निगरानी इन कंपनियों की ओर से प्रस्तुत क्वार्टरली परफॉर्मेंस मॉनिटरिंग रिपोर्ट के आधार पर कर रहा है।

भारत में टीएसपी को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उनके मोबाइल नेटवर्क पर कॉल ड्रॉप की समस्या ट्राई के निर्धारित बेंचमार्क के दायरे में रहे।

इस संबंध में ट्राई ने ‘द स्टैंडर्ड्स ऑफ क्वालिटी ऑफ सर्विस ऑफ बेसिक टेलीफोन सर्विसेज (वायरलाइन) एंड सेल्युलर मोबाइल टेलीफोन सर्विस (पांचवां संशोधन) रेगुलेशन-2019’ नाम से अधिसूचना भी जारी की है। यह एक अक्टूबर 2017 से लागू है।

समस्या से निपटने की नीतिगत पहल

– दूरसंचार विभाग ने गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिहाज से बुनियादी ढांचे के विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए कई नीतिगत पहल की हैं।

– इनमें ट्रेडिंग की अनुमति देना, शेयरिंग, स्पेक्ट्रम उदारीकरण, एक्टिव इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग की अनुमति देना, टावर लगाने के लिए सरकारी जमीन/बिल्डिंग उपलब्ध कराना आदि शामिल हैं।

– देशभर में मार्च 2014 से मार्च 2022 की अवधि के दौरान टीएसपी की ओर से 2जी/3जी/4जी-एलटीई सेवाओं के लिए करीब 16.82 लाख अतिरिक्त बेस ट्रांसीवर स्टेशन (बीटीएस) जोड़े गए हैं।

– कॉल ड्रॉप पर ग्राहकों से सीधी प्रतिक्रिया लेने के लिए दूरसंचार विभाग ने एक इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम लॉन्च किया है।

– इसमें दिसंबर 2016 से करीब 5.67 करोड़ ग्राहकों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया गया है। इनमें 73.61 लाख ग्राहकों ने सर्वे में हिस्सा लिया है।

– समयबद्ध तरीके से सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए टीएसपी के साथ फीडबैक साझा किया जाता है। इससे कॉल ड्रॉप से जूझ रहे करीब 1.73 लाख मामलों का समाधान हो चुका है।

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