भारत

नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 12 को सुनवाई

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) नागरिकता संशोधन अधिनियम को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर 12 सितंबर को सुनवाई करेगा।

चीफ जस्टिस UU Lalit की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच नागरिकता संशोधन को चुनौती देने वाली करीब 220 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। बेंच में जस्टिस एस रविंद्र भट्ट भी हैं।

17 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार (Central government) ने इस मामले में हलफनामा दाखिल किया था। 133 पेज के हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम में कोई गड़बड़ी नहीं है।

केंद्र सरकार ने कहा था कि इस कानून में कुछ खास देशों के खास समुदाय के लोगों के लिए ढील दी गई है। केंद्र सरकार ने कहा था कि संबंधित देशों में धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जा रहा है।

इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है

पिछले 70 सालों में उन देशों में धर्म के आधार पर किए जा रहे उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए संसद ने ये संशोधन किया है।

केंद्र सरकार ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (citizenship amendment act) से किसी भी भारतीय नागरिक का कानूनी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्षता का अधिकार प्रभावित नहीं होता है।

केंद्र सरकार ने कहा था कि नागरिकता देने का मामला संसदीय विधायी कार्य है, जो विदेश नीति पर निर्भर करती है। इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। केंद्र ने कहा था कि इस कानून से संविधान के Article 14  का कोई उल्लंघन नहीं होता है।

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