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Holi Special : क्यों मनायी जाती है Holi ? जाने उत्सव का कारण और महत्व

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Holi Special : Holi भारत में सबसे प्रतीक्षित त्योहार उत्सव है। परिवार इस त्योहार की तैयारी हफ्तों पहले से शुरू कर देते हैं, और हम में से कई लोग अपने प्रियजनों के साथ रंगों के इस त्योहार को मनाने में व्यस्त हो जाते हैं।

अपने दोस्तों और परिवार को रंगों के दंगल में डुबाने के लिए कुख्यात योजनाएँ बनाते समय, हम सबसे महत्वपूर्ण चीज़, अपनी त्वचा और बालों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हालांकि हम अपनी त्वचा और बालों को स्वस्थ और सुंदर बनाए रखने के लिए बहुत प्रयास करते हैं लेकिन रंगों और रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण सभी विफल हो जाते हैं।

Holi Special Why is Holi celebrated Know the reason and importance of the festival

17 मार्च को होलिका दहन मनाया जायेगा। वैदिक शास्त्र के अनुसार मुहू Holi Special : Holi भारत में सबसे प्रतीक्षित त्योहार उत्सव है। परिवार इस त्योहार की तैयारी हफ्तों पहले से शुरू कर देते हैं, और हम में से कई लोग अपने प्रियजनों के साथ रंगों के इस त्योहार को मनाने में व्यस्त हो जाते हैं।र्त रात्रि में करीब एक घंटे का होने वाला है। भद्रा रहित होलिका दहन के लिए मुहूर्त रात्रि तीन से 4:30 बजे शुभ व 4:30 से 6 बजे तक अमृत में रहेगा। रंगों का उत्सव फाल्गुन शुक्ल पक्ष स्नान दान व्रत पूर्णिमा गुरुवार 17 मार्च को होलिका दहन के साथ मनाया जाएगा।

आइये जानते है होली से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाओं के बारे में :

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सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन है भद्रा

पुराणों के अनुसार भद्रा, सूर्य की पुत्री व शनिदेव की बहन हैं। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया है। पंचांग के पांच प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र व करण होते हैं। करण की संख्या 11 होती है। ये चर-अचर में बांटे गए हैं। 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। मान्यता है कि ये तीनों लोगों में भ्रमण करती हैं, जब मृत्युलोक आती हैं तो अनिष्ट करती हैं।

होलिका दहन की पौराणिक कथा

Holi Special Why is Holi celebrated Know the reason and importance of the festival

भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद का पिता हिरण्यकश्यप अपने बेटे पर बहुत क्रोध करता था। उसने प्रह्लाद पर हजारों हमले करवाए। फिर भी प्रह्लाद सकुशल रहा। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को भेजा। होलिका को वरदान था कि वह आग से नहीं जलेगी। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को बोला कि वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए। होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में कूद गई, लेकिन इसका उल्‍टा हुआ। होलिका प्रह्लाद को लेकर जैसे ही आग में गई वह जल गई और प्रह्लाद बच गए। प्रह्लाद अपने आराध्य विष्णु का नाम जपते हुए आग से बाहर आ गए। तब से होलिका दहन की रीत शुरू हो गई। इसके अगले दिन होली खेली जाती है।

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