भारत

वायुसेना को 2023 से मिलने लगेंगे स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस MK-1A

पहले अनुबंधित किए गए 40 तेजस एमके-1 विमानों की आपूर्ति 2023 के मध्य तक पूरी होगी

नई दिल्ली: ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियां कर रही भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को अगले साल से नई आसमानी लड़ाकू ताकत मिलेगी।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2023 से शुरू करेगा और 2027 तक पूरे 83 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे।

इनमें 73 तेजस एमके-1ए लड़ाकू और 10 ट्रेनर विमान होंगे। इसी तरह पहले अनुबंधित किए गए 40 तेजस एमके-1 विमानों की भी आपूर्ति 2023 के मध्य तक पूरी की जाएगी।

वायुसेना प्रमुख चीफ एयर मार्शल वीआर चौधरी ने पुष्टि की कि भारतीय वायुसेना को कुल 40 अनुबंधित तेजस एमके-1 विमानों में से 25 मिल चुके हैं।

11 अन्य ट्रेनर विमानों के पहले लॉट की आपूर्ति अगले साल मार्च तक होने की उम्मीद है। शेष चार विमानों की आपूर्ति 2023 के मध्य तक वायुसेना को की जानी है।

उन्होंने स्वीकार किया कि मौजूदा समय में भारतीय वायु सेना के पास लड़ाकू विमानों का बेड़ा 31 स्क्वाड्रन से नीचे है।

इसीलिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत स्क्वाड्रन बढ़ाने के लिए विभिन्न दृष्टिकोण अपनाए जा रहे हैं। वायु सेना चरणबद्ध तरीके से एलसीए वेरिएंट, एमआरएफए और एएमसीए के माध्यम से स्क्वाड्रन की कमी पूरी करने के प्रयास में है।

18 टू-सीटर ट्रेनर वेरिएंट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू

भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग (aircraft and pilot training) के दो विमानों से मिलकर बनती है।

मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की 30 स्क्वाड्रन हैं जबकि ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के लिहाज से कम से कम 38 स्क्वाड्रन होनी चाहिए।

इसलिए वायुसेना ने 2030 तक 8 और स्क्वाड्रन बढ़ाने का फैसला लिया है। नई बनने वाली 8 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी एलसीए और पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट से पूरा किया जाना है।

एलसीए एमके-1 के 40 विमानों का ऑर्डर पहले ही एचएएल को दिया जा चुका है। इनमें से 25 विमान मिल चुके हैं और वायुसेना की सेवा में हैं।

इन 40 विमानों में एलसीए एमके-1ए के मुकाबले 43 तरह के सुधार किये जाने हैं। इनमें हवा से हवा में ईंधन भरने, लंबी दूरी की बियांड विजुअल रेंज मिसाइल (visual range missile) लगाने, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए दुश्मन के रडार और मिसाइलों को जाम करने के लिए सिस्टम लगाया जाना है।

एचएएल ने पिछले अनुबंध के अनुसार 32 जेट की असेंबली पूरी करने के बाद सिंगल-सीटर तेजस मार्केट जेट के निर्माण को रोककर 18 टू-सीटर ट्रेनर वेरिएंट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

इसमें 8 ट्रेनर जेट पहले ऑर्डर से हैं और 10 एयरो इंडिया के दौरान किये गए 83 विमानों के दूसरे आदेश के हैं। वायु सेना को इनकी आपूर्ति मार्च, 2024 से शुरू की जाएगी और 2028-29 तक बेड़े में शामिल हो जायेंगे।

भारतीय वायुसेना ने फ्लाइंग डैगर्स’ और ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ बनाई

तेजस एमके-1ए में डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और एवियोनिक्स, वायुगतिकी, रडार में सुधार किया गया है।

तेजस एमके-1 में उन्नत शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल और एस्ट्रा एमके-1 एयर टू एयर मिसाइल लगाईं जाएंगी। इन 123 तेजस एमके-1 और तेजस एमके-1ए की 6 स्क्वाड्रन बनाई जानी हैं।

भारतीय वायुसेना ने तेजस के लिए दो स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ और ‘फ्लाइंग बुलेट्स’ बनाई हैं। तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों की पहली स्क्वाड्रन गुजरात के नलिया और दूसरी राजस्थान के फलौदी एयरबेस (Rajasthan’s Phalodi Airbase) में बनेगीं। ये दोनों सीमाएं पाकिस्तान सीमा के करीब हैं।

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