न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations organisation) के प्रमुख निकाय संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (UN Economic & Social Council) ने एक दलित मानवाधिकार संगठन समेत नौ गैरसरकारी संगठनों (NGO) को मान्यता प्रदान कर दी है।
भारत, चीन और रूस (India, China and Russia) समेत कई देशों ने मान्यता को लेकर आपत्ति जताई थी, किन्तु इस आपत्ति को दरकिनार करके मतदान के बाद मान्यता दे दी गई।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (UN Economic & Social Council) ने दुनिया भर के गैरसरकारी संगठनों (NGO) को मान्यता देने के लिए बुधवार को मतदान कराया।
यह समिति NGO के मान्यता आवेदनों पर विचार करती है
मतदान के बाद इंटरनेशनल दलित सॉलिडेरिटी नेटवर्क (IDSN), मानवाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय कानून का अरब-यूरोपीय केंद्र, बहरीन मानवाधिकार केंद्र, कॉप्टिक सॉलिडेरिटी गल्फ सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स (Human Rights), अंतर्क्षेत्रीय गैर-सरकारी मानवाधिकार संगठन मैन एंड लॉ, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के लिए एंड्री रिलकोव फाउंडेशन, द वर्ल्ड यूनियन ऑफ कॉसैक एटमैन्स एंड वर्ल्ड विदाउट जेनोसाइड सहित नौ गैरसरकारी संगठनों (NGOs) को मान्यता का फैसला लिया गया।
इन सभी गैरसरकारी संगठनों को विशेष परामर्शदाता का दर्जा दिया जाएगा। इन नौ गैर-सरकारी संगठनों को विशेष परामर्शदाता का दर्जा दिया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद यूएन के छह प्रमुख संगठनों में से एक है। यह परिषद आर्थिक व सामाजिक मामलों को देखती है।
संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद की 19 सदस्यीय समिति ने इस साल सितंबर में नौ NGO के मान्यता आवेदनों को खारिज कर दिया था। यह समिति NGO के मान्यता आवेदनों पर विचार करती है।
सामाजिक परिषद के 12 सदस्य मतदान से गैरहाजिर रहे
एक बार आवेदन की समीक्षा और समिति द्वारा अनुमोदित होने के बाद इसे परामर्शदाता बनाने की सिफारिश की जाती है। इन नौ संगठनों के आवेदन की समीक्षा के बाद अमेरिका (America) की पहल पर बुधवार को मतदान कराया गया।
मतदान के दौरान इन संगठनों को मान्यता संबंधी प्रस्ताव के पक्ष में 24 देशों ने वोट डाले। इस प्रस्ताव के विरोध में भारत, चीन और रूस समेत 17 देशों ने प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद के 12 सदस्य मतदान से गैरहाजिर रहे।