वाशिंगटन: IMF की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ (Geeta Gopinath) ने जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण श्रम बाजारों ( Labour Markets) में परेशानी आने की चेतावनी दी है और नीति निर्माताओं को प्रौद्योगिकी (Technology) को संचालित करने के लिए नियमों को जल्दी से तैयार करने का आह्वान किया है।
नीति निर्माताओं की जरूरत
गोपीनाथ ने FT को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “हमें सरकारों की जरूरत है, हमें संस्थानों की जरूरत है और हमें नियमन के संदर्भ में, बल्कि श्रम बाजारों में संभवत: पर्याप्त व्यवधानों की तैयारी के मामले में भी सभी मोर्चों पर तेजी से आगे बढ़ने के लिए नीति निर्माताओं (Policy Makers) की जरूरत है।”
सख्त कानून बनाने की जरूरत
गोपीनाथ (Gopinath) ने कहा, कर नीतियों पर काम करते हुए AI को अपनाने से प्रभावित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा जाल को बढ़ावा देने के लिए सरकारों की भी वकालत की, जो मशीनों के साथ कर्मचारियों की जगह लेने वाली कंपनियों को पुरस्कृत नहीं करती हैं।
गोपीनाथ ने नीति निर्माताओं को आगाह किया कि नई तकनीक में कुछ निगमों के उभरने की स्थिति में सावधान रहने की जरूरत है। गोपीनाथ ने बताया, “आप बड़ी मात्रा में डेटा और कंप्यूटिंग शक्ति (Data and Computing Power) वाली कंपनियों को सुपरसाइड नहीं करना चाहते हैं, जिनके पास अनुचित लाभ है।”