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भारतीय नौसेना का पहला Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft 16 को होगा लॉन्च

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कोलकाता: भारतीय नौसेना (Indian Navy) का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASWSWC) 16 दिसंबर को लॉन्च (Launch) किया जाएगा।

इससे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) लिमिटेड के नाम एक और उपलब्धि जुड़ जाएगी। 77.6 मीटर लंबा और 10.5 मीटर चौड़ा यह पोत दुश्मन की पनडुब्बियों (Submarines) का शिकार करने और उन्हें बेअसर करने में सक्षम है।

जहाज को डेक उपकरण, सेंसर और हथियार प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा

नौसेना को सौंपे जाने से पहले जहाज को डेक उपकरण, सेंसर और हथियार प्रणालियों से सुसज्जित किया जाएगा।
नौसेना ने ऐसे 16 जहाजों का ऑर्डर दिया है।

आठ GRSE द्वारा बनाए जा रहे हैं, शेष कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन हैं। अतीत में GRSE ने प्रोजेक्ट-28 के तहत नौसेना को चार एंटी-सबमरीन वारफेयर कॉर्वेट (Anti-Submarine Warfare Corvette) का निर्माण और वितरण किया है।

कामोर्टा वर्ग (Camorta Square) के जहाज भारतीय नौसेना में शामिल होने वाले पहले एएसडब्ल्यू कार्वेट (ASW Corvette) थे। 109 मीटर की लंबाई के साथ वे अभी और असरदार बनाए जा रहे हैं।

पहला जहाज होगा 16 दिसंबर को कट्टुपल्ली, तमिलनाडु में लॉन्च किया जाएगा

GRSE में भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोत उत्पादन पर्यवेक्षक (WPS)कमोडोर इंद्रजीत दासगुप्ता कहाहम पिछले कई वर्षों से एएसडब्ल्यू जहाजों (ASW Ships) का संचालन कर रहे हैं (आईएनएस कामोर्टा 2014 में नौसेना में शामिल हुआ था)।

हालांकि, ASWSWC का उप-सतह खतरों की तलाश में देश की विशाल तटरेखा को गश्त करने का एक विशिष्ट उद्देश्य होगा।

पहला जहाज होगा 16 दिसंबर को कट्टुपल्ली, तमिलनाडु में लॉन्च किया जाएगा। पानी के नीचे के खतरों से निपटने के लिए सेंसर और हथियार प्रणालियों के अलावा, इन जहाजों में अपनी सुरक्षा के लिए डेक बंदूकें होंगी।

इनसे समुद्र में आगे काम करने वाली पनडुब्बियों का पता लगाया जा सकता है

नौसेना के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक भारतीय जलक्षेत्र के करीब चीनी पनडुब्बियों (Chinese Submarines) की आवाजाही को देखते हुए ये जहाज बेहद अहम भूमिका निभाएंगे।

इनसे समुद्र में आगे काम करने वाली पनडुब्बियों का पता लगाया जा सकता है और अरह कॉर्वेट्स (Corvettes) और लंबी दूरी की निगरानी वाले विमानों द्वारा निपटा जा सकता है।

अधिकारी ने कहा, ASWSWC इस तरह के खतरों से निपटने में बहुत सक्षम होंगे। वे अपने दम पर या विमान के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। ये जहाज बारूदी सुरंगों का पता लगाने और आवश्यक उपाय करने में भी सक्षम होंगे।

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