नई दिल्ली: पिछले महीने पार्टी के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बगावत के बाद शिवसेना एक बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रही है।
इसके कारण महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया गया।
शिंदे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा समर्थित महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री हैं। शिवसेना के 55 में से 40 विधायक शिंदे खेमे में शामिल हो गए।
ठाकरे को एक और झटका तब लगा, जब ठाणे नगर निगम में शिवसेना के 67 सदस्यों में से 66 शिंदे गुट में शामिल हो गये।
वहीं, अब शिवसेना के दो सांसद राहुल शेवाले और राजेंद्र गावित ने ठाकरे को एक पत्र लिखकर मांग की है कि पार्टी को भाजपा की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Presidential candidate Draupadi Murmu) का समर्थन करना चाहिए।
इससे पहले ठाकरे ने संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी का समर्थन किया था।
हालांकि बदले राजनीतिक परि²श्य में शिवसेना प्रमुख ने कहा है कि वह पार्टी के सभी सांसदों से बात करने के बाद राष्ट्रपति चुनाव के बारे में फैसला लेंगे।
सर्वे में इस मुद्दे पर विभिन्न सामाजिक समूहों की राय में अंतर पर प्रकाश डाला गया
सीवोटर-इंडियाट्रैकर (Cvoter-Indiatracker) ने आगामी राष्ट्रपति चुनावों के बारे में शिवसेना के रुख के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए आईएएनएस के लिए एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया।
सर्वे से पता चला कि उत्तरदाताओं के एक बड़े अनुपात के साथ इस मुद्दे पर लोगों के विचार विभाजित थे। 57 प्रतिशत ने सुझाव दिया कि ठाकरे को मुर्मू का समर्थन करना चाहिए।
वहीं 43 प्रतिशत इस भावना से असहमत थे और कहा कि शिवसेना प्रमुख को संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करना चाहिए।
सर्वे के दौरान, जबकि एनडीए के 64 प्रतिशत मतदाताओं ने जोर देकर कहा कि ठाकरे की पार्टी को भाजपा के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को वोट देना चाहिए, इस मुद्दे पर विपक्षी समर्थकों के विचार विभाजित थे।
सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, जहां विपक्षी समर्थकों का एक बड़ा हिस्सा- 51 प्रतिशत ने कहा कि ठाकरे को मुर्मू का समर्थन करना चाहिए, वहीं 49 प्रतिशत ने सुझाव दिया कि पार्टी को यशवंत सिन्हा को वोट देना चाहिए। सर्वे में इस मुद्दे पर विभिन्न सामाजिक समूहों की राय में अंतर पर प्रकाश डाला गया।
जबकि अधिकांश उच्च जाति हिंदुओं (यूसीएच), 68 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 66 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग 63 प्रतिशत ने सुझाव दिया कि ठाकरे को मुर्मू का समर्थन करना चाहिए, जबकि अधिकांश मुसलमानों ने यशवंत सिन्हा के समर्थन में पार्टी के पक्ष में बात की।
इस मुद्दे पर अनुसूचित जनजातियों के विचार विभाजित थे। एक बड़े अनुपात के साथ, 56 प्रतिशत ने यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) को शिवसेना के समर्थन का सुझाव दिया।