रांची: दहशत का का पर्याय कहा जाने वाला 30 लाख का इनामी पीपल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) सुप्रीमो दिनेश गोप (Dinesh Gope) रविवार को दबोच लिया गया है।
उसे पड़ोसी देश नेपाल में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) और झारखंड पुलिस (Jharkhand Police) के संयुक्त प्रयास से पकड़ा गया। यह सर्वविदित है कि दिनेश गोप झारखंड के खूंटी (Khunti), रांची, सिमडेगा, चाईबासा, गुमला, लोहरदगा जैसे जिलों के लिए दहशत का दूसरा नाम था।
मेरिट लिस्ट को भी कंप्लीट किया
Jharkhand के नक्सल प्रभावित जिला खूंटी के जरियागढ़ थाना क्षेत्र में लप्पा मोहराटोली गांव का है दिनेश। गांव के लोग बताते हैं कि एक समय दिनेश भारतीय सेना में जाने की तैयारी कर रहा था।
इसके लिए उसने शारीरिक परीक्षा सहित दूसरी मेरिट लिस्ट को भी कंप्लीट किया था। कहा यह भी जाता है कि सेना ने पत्र भी दिनेश गोप को भेजा गया था, लेकिन वह उसे मिला ही नहीं। उसी के गांव के कुछ दबंगों ने उस लेटर को दिनेश गोप तक पहुंचने नहीं दिया।
एनकाउंटर में साल 2000 में मारा गया था दिनेश का भाई सुरेश
सेना का लेटर न पहुंचने देने की जानकारी जब दिनेश गोप के भाई सुरेश को हुई तो वह दबंगों का विरोध करने लगा। दबंगों के विरोध की वजह से वह उनके निशाने पर आ गया और दबंगों से बचने के लिए वह नक्सलियो (Naxalites) के साथ हो गया।
साल 2000 में दिनेश का भाई सुरेश पुलिस के साथ एनकाउंटर (Encounter) में मारा गया। सुरेश के मारे जाने के बाद दिनेश गांव छोड़कर भाग गया।
जब वह वापस लौटा,तब सीधा सादा दिनेश गोप नहीं था। वह उग्रवादी संगठन JLT के साथ लौटा। JLT का नाम ही आगे चलकर साल 2007 में PLFI हुआ। इसका सुप्रीमो बना दिनेश।
धीरे-धीरे फैलता गया उसके आतंक का असर
दिनेश गोप के लगातार सक्रिय प्रयासों से PLFI का आतंक खूंटी से शुरू होकर इस संगठन का वर्चस्व गुमला, सिमडेगा (Simdega), चाईबासा, लोहरदगा सहित राजधानी तक भी पहुंच गया।
आतंक ऐसा कि कोई भी कारोबारी हो या फिर ठेकेदार बिना इस संगठन को पैसे दिए इस इलाके में कोई भी काम नहीं कर सकता था। इस बीच दिनेश ने इस संगठन (Organisation) के लिए अकूत संपत्ति एकत्रित कर ली।
यह सही है कि इस दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ में संगठन के कई बड़े और इनामी उग्रवादी मारे गए, लेकिन दिनेश बचता रहा था। अंततः वाहन भी पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया। अब PLFI रीढ़ टूट चुकी है।