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अंतरधार्मिक संवाद कोई अपराध नहीं, मौलाना कलीम सिद्दीकी को तुरंत रिहा किया जाएः SIO

नई दिल्ली: स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसआईओ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद सलमान अहमद ने धर्मांतरण मामले में मेरठ से मौलाना कलीम सिद्दीकी और उनके साथियों की गिरफ्तारी पर रोष व्यक्त किया है।

उनका कहना है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सरकार अंतरधार्मिक संवादों पर अंकुश लगाने और यूपी चुनाव से पहले सांप्रदायिक नफरत फैलाने का गलत प्रयास कर रही है।

मौलाना कलीम सिद्दीकी को देश में विभिन्न धर्मों के लोग पसंद करते हैं।

उनके प्रयासों और दोस्ताना अंतरधार्मिक संवादों के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव एवं सौहार्द को बढ़ावा मिला है।

उन्होंने अपना जीवन विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास एवं गलतफहमियों को दूर करने के लिए समर्पित किया है।

उनका यह भी भरपूर प्रयास रहा है कि अलग-अलग समुदाय के लोग एक दूसरे के बारे में जानें, समझें ताकि व्यापक स्तर पर सामाजिक संवाद का माहौल पैदा हो।

मौलाना कलीम सिद्दीकी पर लगे आरोपों में रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है।

उन पर यूपी एटीएस ने आरोप लगाया है कि उन्होंने लोगों को ज़बरदस्ती या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करने पर विवश किया लेकिन यह पूरी तरह से फर्जी और काल्पनिक शिकायत है।

उनका कहना है कि मौलाना सिद्दीकी को चुनावी लाभ के लिए यूपी सरकार ने बलि का बकरा बनाया है।

निर्दोष मुसलमानों का लगातार उत्पीड़न निंदनीय है और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

इस तरह की हरकतें केवल संदेह और अविश्वास का माहौल पैदा करेंगी और देश के सामाजिक ताने-बाने के लिए पूरी तरह से घातक सिद्ध होंगी।

अपने पसंद के धर्म को मानने और प्रचार करने का अधिकार हमारे संविधान में निहित है।

यूपी सरकार का धर्मांतरण विरोधी कानून इन स्वतंत्रताओं को कमज़ोर करता है और आम लोगों को परेशान करने का एक साधन बन गया है।

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