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झारखंड की कई फसलों पर अमेरिकन कीड़ों का आक्रमण, किसानों पर दोहरी मार से…

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रांची : झारखंड (Jharkhand) के कई जिलों में इन दिनों अमेरिकन फॉल आर्मी कीड़ों का हमला (Attack of the American Fall Army Bugs) बढ़ा है। ये किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गये हैं।

तेजी से फैलते ये कीड़े मक्के की फसल चट कर जा रहे हैं। यह विनाशकारी कीट मक्के (Insect Pests) के अलावा धान, बंदागोभी, चुकंदर, गन्ना, मूंगफली, सोयाबीन, प्याज, टमाटर और आलू की फसल को भी नुकसान पहुंचाता है।

झारखंड में धान के बाद सबसे ज्यादा मक्के की ही पैदावार होती है। कम बारिश की वजह से एक ओर जहां खरीफ फसल पर संकट है, वहीं दूसरी ओर अमेरिकन कीड़ों के आक्रमण से मक्के की फसल चौपट होने से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। ये कीड़े घरों-मकानों में भी घुस जा रहे हैं।

कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां इनके डर से लोग घरों के खिड़की-दरवाजे बंद रख रहे हैं। जंगलवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं।

इन कीड़ों ने मक्के की फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया

रांची जिले के अनगड़ा थाना क्षेत्र में नवागढ़ चौक इलाके में कीड़ों ने इस कदर आतंक मचाया कि सात-आठ दिनों तक इलाके की तमाम दुकानें बंद करनी पड़ीं।

रांची के ग्रामीण इलाकों, हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, चतरा, पलामू, लातेहार, गढ़वा, धनबाद, गिरिडीह जिलों में भी इन कीड़ों ने मक्के की फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस अमेरिकी कीट का नाम ‘स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा’ (‘Spodoptera Fujiperda’) है। यह कीट मक्के की पत्ती में छेद कर दे रहा है। 15-20 दिनों में ये पौधे को पूरी तरह चट कर जाते हैं।

झारखंड के कई जिलों में इसके मौजूद होने का पता चला

कीड़े कई जंगलवर्ती इलाकों में साल-सखुआ पेड़े के पत्तों को पूरी तरह खा गये हैं। ये पत्ते हजारों ग्रामीणों की जीविका का आधार हैं। ग्रामीण पत्तों से पत्तल-दोने बनाकर आजीविका चलाते हैं।

इधर, कृषि विभाग ने कीड़ों के प्रकोप को देखते हुए मक्के की खेती करने वाले किसानों के लिए Advisory जारी की है। उन्होंने तत्काल इस कीट से फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करने सहित अन्य उपायों को अपनाने की सलाह दी है।

विशेषज्ञों के अनुसार पांच साल पहले 2018 में पहली बार कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले में मक्के की खेत में अमेरिकी कीट स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा को देखा गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश-बिहार में भी इसकी पुष्टि हुई। अब झारखंड के कई जिलों में इसके मौजूद होने का पता चला है।

मक्के पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों (Scientists) का कहना है कि लगातार तापमान में हो रहे बदलाव का असर मक्का की फसलों पर ज्यादा पड़ रहा है।

क्लोरोपाइरीफॉस और साइपर मैथीन के घोल का स्प्रे जरूर करें

इस फॉल आर्मीवर्म कीट (Fall Armyworm Pest) के कारण मक्का की फसल के तने को नुकसान पहुंचता है और पौधे में वृद्धि रुक जाती है। बेहद छोटा दिखने वाला यह कीड़ा 24 घंटे में 100 किलोमीटर तक फैल सकता है।

समय रहते अगर इसका उपचार नहीं किया जाये, तो ये कीड़े मक्का के पौधों के पत्ते में छेद कर देते हैं। ऐसे में किसानों को सलाह दी जा रही है कि वह मक्के को बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफॉस और साइपर मैथीन (Chlorpyrifos and Cypermethine) के घोल का स्प्रे जरूर करें।

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